मुलायम परिवार के बीच चल रही तल्खी को छिपाने के लिये प्रोफेसर रामगोपाल यादव की जन्मदिन पार्टी से अच्छा दूसरा मौका नहीं हो सकता था. मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अपनी इंग्लैंड यात्रा को एक दिन बाद का रखकर अपनी ओर से सबकुछ ठीक दिखाने का प्रयास किया. रामगोपाल यादव के जन्मदिन पर उनकी पुस्तक ‘संसद में मेरी बात‘ का विमोचन होना था. सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव चाहते थे कि इस दिन का उपयोग परिवार में एकता का संदेश देने के लिये भी किया जाये. मुलायम की मंशा के अनुरूप पार्टी और परिवार ने सब ठीक से किया. इसके बाद भी परिवार में एकता के संदेश को देने का प्रयास सफल नहीं हुआ. परिवार में चल रही तल्खी खुलकर सामने आ गई, जिसे भाषण, शायरी और कहावतों के जरीये ढकने का काम किया गया.

कार्यक्रम शुरू होने के बाद पहुंचे मुलायम के भाई और प्रदेश सरकार के मंत्री शिवपाल यादव मंच पर न बैठ कर नीचे दर्शकों की कुर्सी पर बैठ गये. मंच संचालक के बुलाने पर जब शिवपाल अपनी कुर्सी से नहीं उठे, तो मंच संचालक ने अमर सिंह का नाम लेकर कहा कि वह शिवपाल को उपर लाये. अमर सिंह के कहने पर मंच पर पिछली सीट पर जाकर शिवपाल बैठ गये. इसके बाद फिर उनको आगे की सीट पर बैठने के लिये बार बार कहा गया, तब वह चुपचाप सबसे किनारे बैठ गये. बोलने की अपनी बारी आने पर शिवपाल ने नई पीढी के नेताओं को समाजवाद के विचार पढने को कहा. शिवपाल की ‘बौडी लैग्वेंज’ से नाराजगी झलक रही थी. खुद शिवपाल कहते हैं कि जहां सीट खाली थी, वहां बैठ गये. समाजवादी पार्टी के कार्यक्रम में शिवपाल यादव के लिये सीट का खाली होना समस्या बन जाये, यह बात स्वीकार करने योग्य नहीं है.

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