16वीं लोकसभा के चुनाव प्रचार के दौरान देशभर में जिस शख्स के नाम की सुनामी का दावा किया जा रहा था, आखिर वह नरेंद्र दामोदरदास मोदी भारतीय जनता पार्टी यानी भाजपा को पहली बार पूरे बहुमत के साथ सत्ता तक पहुंचाने में कामयाब हो गए हैं. तमाम चुनावी सर्वेक्षणों, भविष्यवाणियों और अनुमानों पर खरा उतरते हुए भारतीय जनता पार्टी अप्रत्याशित तौर पर 282 सीटें जीत कर 3 दशक बाद अकेले सरकार बनाने के काबिल बन गई. भाजपा को खुद इतने बंपर बहुमत की उम्मीद नहीं थी. राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन यानी एनडीए को 336 सीटों का छप्पर फाड़ कर बहुमत मिला है.

सोनिया गांधी और उन की पार्टी कांग्रेस को भ्रष्टाचार, कुशासन और तानाशाही रवैया ले डूबे. पार्टी के परिवर्तन और सशक्तीकरण के तमाम दावे धरे के धरे रह गए. मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली ढीली सरकार की उसे जो सजा मिली है वह तो मिलनी ही चाहिए थी. कांग्रेस को मात्र 44 सीटें हासिल हो सकी हैं. उस के इतिहास का यह उस का सब से बुरा प्रदर्शन है. भारीभरकम नेताओं के किले ढह गए. दूसरे छोटे दलों के दिग्गज भी मोदी लहर में बह गए जो अपनी जीत के दावे कर रहे थे. उत्तर भारत के जातीय, मजहबी क्षत्रपों के गढ़ों में मोदी ने पूरी सेंध लगा दी.

9 चरणों में 36 दिन तक चली लंबी चुनावी प्रक्रिया में कई रंग देखे गए. प्रचार का काम तो सालभर पहले ही शुरू हो गया था. जीत के लिए राजनीतिबाजों की कलाबाजियां, पार्टियों की पैंतरेबाजी, एकदूसरे की टांगखिंचाई के दृश्य दिखे.  मोदी के प्रचार की जबरदस्त ताकत और रणनीति कामयाब रही. मोदी ने भगवा जैकेट पहन कर विकास और सुशासन की बातें कीं और इसी वजह से भाजपा उन जगहों पर भी जीती है जहां वह अब तक जीत से वंचित रही है.

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