मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की यह खासीयत है कि वे ऐसा कुछ न कुछ करते रहते हैं जिस से लोगों का ध्यान बंटा रहे और वे राजकाज पर जरूरत से ज्यादा सवाल न करें. यह ऐसा, कुछ धार्मिक ही क्यों होता है? इस का जवाब बेहद साफ है कि इस से अंधविश्वास फलतेफूलते हैं, पंडेपुजारी उन की स्तुति करते रहते हैं और मामला चूंकि धर्म का होता है, इसलिए उन की मंशा पर विपक्ष भी उंगली नहीं उठा पाता जो खुद अधार्मिक या नास्तिक कहलाने से बचने के चक्कर में राज्य से लुप्त होता जा रहा है.

इस साल उन्होंने वाकई एक ऐतिहासिक काम नर्मदा नदी की यात्रा का कर डाला जिसे नाम दिया गया ‘नमामि देवी नर्मदे.’ कहने को तो इस यात्रा का मकसद नदी संरक्षण, पर्यावरण वगैरा थे पर 148 दिन, 3,344 किलोमीटर इस लंबी यात्रा के दौरान जगहजगह 90 विधानसभा क्षेत्रों में पूजापाठ और आरती होती रहीं. नर्मदा यात्रा में भीड़ लाई भी गई थी और खुद भी आई थी, जिस ने तबीयत से नर्मदा का पूजापाठ करते यात्रा के साथ चल रहे पंडेपुजारियों के पांव छुए और दानदक्षिणा भी दी.

नदियां पंडेपुजारियों के लिए कैसे वरदान हैं, यह सच इस यात्रा से फिर समझ आया कि क्यों हिंदू धर्मग्रंथों  में नदियों की महिमा चमत्कारिक ढंग से गाई गई है. ऐसी कोई भी नदी नहीं है जिस के बारे में यह न लिखा गया हो कि इस में डुबकी लगाने से पाप धुलते हैं और मोक्ष मिलता है.

धर्म पर राजनीति करने के सीधे आरोप से बचने के लिए शिवराज सिंह ने एक ऐसा धार्मिक इवैंट और कर डाला जिसे वे 2018 के चुनाव में भुनाएंगे. नर्मदा यात्रा की ब्रैंडिंग में उन्होंने कोई कसर नहीं छोड़ी और जितने सैलिब्रिटीज बुला सकते थे, बुलाए जो फिल्म, खेल, कला सहित राजनीति से भी थे. इन में एक चर्चित नाम उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का भी है.

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