आम आदमी पार्टी यानी आप ने दिल्ली विधानसभा के चुनाव में अद्भुत जीत हासिल की है. चुनावी इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है जब 2 राष्ट्रीय दल मात्र 2 साल पुरानी एक नौसिखिया पार्टी से बुरी तरह परास्त हो गए. ‘आप’ की सुनामी में कांगे्रस का तो नामोनिशान ही मिट गया. राजनीति करना केवल राजनीतिक दलों का काम है. नेता उस शेर की तरह होता है जो अपनी मांद में किसी दूसरे का घुसना स्वीकार नहीं कर सकता. यह सोच पुरानी पड़ती जा रही है. दिल्ली विधानसभा चुनाव में जनता ने जिस तरह से आम आदमी पार्टी को उस की व सब की उम्मीदों से अधिक सीटें दे कर सरकार बनाने का मौका दिया है उस से राजनीति में एक नए कल्चर की शुरुआत हुई है.

दिल्ली देश का दिल है. यहां देश के हर राज्य के लोग रहते हैं. दिल्ली का वोटर राजनीतिक दलों को दूसरों से ज्यादा समझता है. वह दिल्ली और दिल्ली के बाहर इन के कामकाज को देखता है. उसे पता होता है कि उस के गृहप्रदेश, जहां का वह रहने वाला है और दिल्ली में जहां वह रहता है, के बीच क्या राजनीतिक दूरियां हैं. दिल्ली के वोटर ने ‘आप’ के अरविंद केजरीवाल पर इसलिए भरोसा किया क्योंकि वे उन को अपने बीच के इंसान लगते हैं

दिल्ली में प्रचंड जीत के बाद अरविंद केजरीवाल ने अपनी पत्नी सुनीता के सहयोग की न केवल तारीफ की बल्कि मंच पर सब के सामने उन को गले लगा लिया. ऐसा काम नेता करने का साहस नहीं कर सकते. आम आदमी खुश हो कर इसी तरह गले लगा कर पत्नी को सम्मान देता है. बहुत सारे नेता अपने घरपरिवार को जनता के सामने लाने में संकोच करते हैं, पत्नी को गले लगाना तो दूर की बात होती है. भारतीय राजनीति में आजादी के बाद से अब तक राजनीतिक दलों का प्रभाव रहा है. विभिन्न दल जातिबिरादरी और धर्म के नाम पर वोट पा कर अपना उल्लू सीधा करते रहे हैं. पहली बार जनता को लगा है कि राजनीतिक दलों से दूर रहते हुए भी न केवल चुनाव जीता जा सकता है बल्कि सरकार भी बनाई जा सकती है. विधानसभा की कुल 70 सीटों में से 67 सीटें हासिल कर ‘आप’ ने प्रचंड बहुमत पा लिया जबकि भारतीय जनता पार्टी केवल 3 सीटें ही ले पाई. भाजपा की तरफ से घोषित मुख्यमंत्री पद की उम्मीदवार किरण बेदी खुद चुनाव हार गईं. इस चुनाव में भाजपा ने 200 सांसद, भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्री, केंद्रीय मंत्रिमंडल के 2 दर्जन सदस्य, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ यानी आरएसएस और उस के सहयोगी संगठन, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह तथा स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विशाल फौज के साथ दिल्ली फतह करने उतरे थे.

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