इस बार पूरे देश समेत मध्य प्रदेश में भी दलित संत रविदास की जयंती धूमधाम से सरकारी तौर पर मनाई गई, तो भारतीय जनता पार्टी की इस चाल का कांग्रेस कोई सटीक जवाब नहीं दे पाई. दलित समुदाय के लोग सड़कों पर जयकारे लगाते और झूमतेगाते नजर आए. दलित वोट बैंक को लुभाने के लिए अब भगवा खेमे ने हमेशा की तरह तय कर लिया है कि इन के देवीदेवता और संत अलग कर दिए जाएं, जिस से ये उन के पूजापाठ में रमे रहें. इस से सवर्ण भी खुश हैं कि चलो अबये लोग राम, शिव और विष्णु के मंदिरों में आ कर मंदिर को अपवित्र नहीं करेंगे और दानदक्षिणा के फेर में भी पड़े रहेंगे. रविदास या अंबेडकर जयंती धूमधाम से मनाने से दलितों का क्या भला होगा, यह न कोई पूछ रहा है, न कोई सोच रहा है.

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