उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को चुनावी संघर्ष में बनाए रखने के लिये प्रियंका गांधी की भूमिका अहम हो गई है. कांग्रेस हाईकमान अभी अपने सबसे मजबूत पत्ते को दांव पर खुलकर नहीं लगाना चाहती. ऐसे में प्रियंका गांधी को मुख्यमंत्री पद का प्रत्याशी नहीं घोषित किया जा सकता. हाईकमान इस बात को मान रहा है कि पार्टी को मजबूत आधार देने में प्रियंका का रोल अहम हो सकता है. उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनावों में प्रियंका को पार्टी का सबसे बडा प्रचारक बनाने की योजना फिलहाल कागज पर आकार लेने लगी है. योजना के मुताबिक प्रियंका गांधी को 150 विधानसभा सीटों पर प्रचार की जिम्मेदारी दी जायेगी. यह वह विधानसभा क्षेत्र है जहां पर कांग्रेस पिछले चुनाव में सबसे सबसे कम वोट से हारी थी. पिछले विधानसभा चुनाव में काग्रेस को 403 विधानसभा सीटों में से 28 सीटे मिली थी. कांग्रेस इस चुनाव में कम से कम 100 के करीब विधानसभा सीट जीतना चाहती है.

कांग्रेस के रणनीतिकार प्रशांत किशोर को लगता है कि मुख्यमंत्री का चेहरा सामने लाकर कांग्रेस अपने कार्यकर्ताओं, वोटरों और पार्टी नेताओं में उर्जा का संचार कर सकती है. कांग्रेस हाईकमान प्रियंका गांधी को मुख्यमंत्री पद का प्रत्याशी घोषित नहीं करना चाहता है. कांग्रेस थिंकर्स सोचते है कि उत्तर प्रदेश का चुनावी संघर्ष बहुत उलझा हुआ है. यहां केवल चेहरा घोषित करने से मसला तय नहीं होने वाला. ऐसे में कांग्रेस केवल प्रियंका गांधी को पहले से अधिक क्षेत्रों में चुनाव प्रचार की जिम्मेदारी दे सकती है. कांग्रेस नेहरू गांधी परिवार के किसी संदस्य को तब तक प्रत्याशी नहीं घोषित कर सकती जब तक उसे जीत का सौ फीसदी भरोसा न हो जाये. उत्तर प्रदेश में 28 सीटो को बहुमत के लिये तय 202 विधानसभा सीटों में बदलना बहुत मुश्किल काम है. प्रदेश में कांग्रेस का संगठन और जातीय आधार दोनो ही सबसे खराब हालत में है.

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