केंद्र में सरकार बनाने के बाद से ही भाजपा कांग्रेस के खिलाफ ‘मेंटल वार’ का सहारा ले रही है. भाजपा के आक्रामक प्रचार अभियान का मुकाबला कांग्रेस नहीं कर पा रही है. 15 साल बाद असम से कांग्रेस क्या हारी, भाजपा ने ऐसा प्रचार करना शुरू कर दिया, जैसे कांग्रेस पूरे देश से खत्म हो गई है. कांग्रेस के संगठन में जंग लग चुका है. वह न तो भाजपा के ‘मेंटल वार‘ की कोई काट तलाश पा रही है और न ही उससे अपना बचाव कर पा रही है. भाजपा शासित राज्यों में घट रही परेशानियों को वह उजागर करने में असफल हो रही है.

कांग्रेस के नेता जमीनी कम और हवा हवाई ज्यादा है. वह अपने जनाधार से टूट चुके हैं. इसके बाद भी युवा नेताओं को संगठन में अधिकार नहीं देना चाहते. इसके विपरीत भाजपा के पास मजबूत संगठन है. वह अपनी हर लडाई को हिन्दुत्व से जोडकर व्यापक प्रचार अभियान चलाने में सफल हो जाती है. भाजपा सरकार की तमाम नीतियां जमीनी स्तर पर असफल हो रही हैं. कांग्रेस संगठन को इन पर चर्चा करनी चाहिये. कांग्रेस के पास ऐसी कोई रणनीति नहीं है, जिससे वह भाजपा के ‘मेंटल वार’ का मुकाबला कर सके.

देखें तो 2014 के लोकसभा चुनाव के मुकाबले भाजपा की लोकप्रियता कम हुई है. कांग्रेस की लोकप्रियता बढी भले ही न हो, पर पहले से कम भी नहीं हुई है. यह भाजपा के ‘मेंटल वार‘ का कमाल है कि भाजपा की बढ़त दिखाई दे रही है. भाजपा ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी को पूरी तरह से पप्पू साबित करने का काम किया है. जिससे लोगों को कांग्रेस से उम्मीद खत्म हो जाये.

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