देवीदेवताओं की पेंटिंग्स को ले कर नग्नता और अश्लीलता का मुद्दा अकसर उठता रहता है. विश्वप्रसिद्ध आर्टिस्ट एम एफ हुसैन इस का बड़ा उदाहरण हैं. मूर्तियों और पेंटिंग की कला में कलाकार को सुंदरता दिखती है जबकि दूसरे लोगों को उन में अश्लीलता दिखती है. इतिहास में जाएं तो जाहिर होता है कि खजुराहो की मूर्तियों का जिक्र पूरे विश्व में होता है. मूर्तियों के चलते ही खजुराहो विश्व के पर्यटन स्थलों में शामिल है. पेंटिंग कला में तमाम ऐसी शैलियां हैं जिन में पेटिंग को बनाते समय कलाकार नारी अंगों को उभारता है. इन से प्रेरित हो कर फैशन और फिल्मी दुनिया में भी ऐसे तमाम प्रयोग होते रहते हैं जिन में नारी को पारदर्शी पोशाक पहने दिखाया जाता है. कई पेंटिंग्स में नारी को कपड़ों की जगह ज्वैलरी पहने दिखाया जाता है.

हर कलाकार अपनी कला को दिखाते समय उस में हर रंग भरने की कोशिश करता है ताकि उस की पेंटिंग खूबसूरत लगे और सराही जाए. बड़ीबड़ी आर्ट गैलरी में ऐसी पेंटिंग भरी पड़ी हैं. राधा और कृष्ण को ले कर बनाई गई पेंटिंग्स को रास पेंटिंग्स के नाम से जाना जाता है. हर शैली में कलाकारों ने अपनीअपनी तरह से रास पेंटिंग्स खूब बनाई हैं.

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में अवध के नवाब वाजिदअली शाह फैस्टिवल के अवसर पर फिल्मकार मुजफ्फर अली ने कलात्मक नृत्य नाटिका ‘राधा कन्हैया का किस्सा’ दिखाने की पहल की. इस के प्रचार के लिए उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग ने राजधानी लखनऊ की सड़कों पर बड़ेबड़े होर्डिंग्स लगवाए. होर्डिंग में राधा और कृष्ण की पेंटिंग लगी थी जो राजस्थानी रास शैली में बनी थी.

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