उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में भाजपा इस बात का प्रचार करती रही कि उसने एक भी मुस्लिम प्रत्याशी को विधानसभा चुनाव का टिकट नहीं दिया है. इस प्रचार से सारे वोटर का धुव्रीकरण किया गया.

विधानसभा चुनाव में जीत हासिल करने के बाद अब भाजपा अपना मुस्लिम विरोधी चेहरा बदलना चाहती है. इसके लिये उसने मंत्रीमंडल में मोहसिन रजा को मंत्री के रूप में शामिल किया. यह बात और है कि मोहसिन रजा विधानसभा या विधान परिषद के सदस्य नहीं हैं. मंत्री बनने के 6 माह के अंदर मोहसिन रजा को विधान सभा या विधान परिषद का सदस्य बनाना जरूरी है.

ऐसे में अब भाजपा मोहसिन रजा को विधान परिषद के जरीये स्थायी रूप से सदन में लाया जायेगा. विधानसभा चुनाव में जिस तरह से भाजपा ने किसी मुस्लिम चेहरे को चुनाव मैदान में नहीं उतारा उसको लेकर पार्टी को आलोचना का शिकार भी होना पड़ा. अब भाजपा इस आलोचना से खुद को दूर रखना चाहती है.

चुनाव बाद उसे इस बात का ख्याल आया कि सदन में समाजिक संतुलन बनाने के लिये मुस्लिम चेहरे का होना भी जरूरी है. ऐसे में उसने मोहसिन रजा को मंत्री बना दिया. यही नहीं भाजपा इस बात का भी दावा कर रही है कि बड़ी संख्या में मुस्लिम महिलाओं ने तीन तलाक के मुद्दे पर उन्हें वोट दिया है. भाजपा ने कट्टर छवि वाले योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री बनाया तो मुलायम छवि वाले डॉक्टर दिनेश शर्मा को उपमुख्यमंत्री बनाया है. डॉक्टर दिनेश शर्मा लखनऊ के मेयर रहे हैं. मुस्लिम मतदाताओं में उनकी छवि बहुत मुलायम मानी जाती है. चुनाव जीत के बाद अब भाजपा इस बात का प्रयास कर रही है कि उसकी छवि को सुधारा जाये जिससे सबका साथ सबका विकास का दावा सही साबित हो सके.

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