उत्तर प्रदेश में जब समाजवादी पार्टी की सरकार होती है, यश भारती पुरस्कार बांटे जाते हैं. सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव ने इन पुरस्कारों की शुरुआत तब की थी जब वह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे. मुलायम के बाद जब अखिलेश यादव मुख्यमंत्री बने तो दोबारा यश भारती पुरस्कार बांटने शुरू किये गये. यह पुरस्कार उत्तर प्रदेश में रहने वाले तमाम क्षेत्रों के उन लोगों को दिया जाता है जो राष्ट्रीय स्तर पर प्रदेश का नाम रोशन करते है.

इसके लिये उत्तर प्रदेश संस्कृति विभाग यश भारती के हकदार लोगों का नाम चयन करने की प्रक्रिया के तहत पहले सूचना जारी करता है. यश भारती चाहने वालों के प्रार्थना पत्रों पर विचार कर योग्य लोगों का चयन करता है. मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने यश भारती में मिलने वाली पुरस्कार राशि को बढाकर 11 लाख कर दिया और यश भारती पाने वालों को 50 हजार पेंशन देने की घोषणा भी कर दी. इसके बाद यश भारती के लिये आने वाले नामों की लिस्ट लगातार लंबी होती गई.

हर साल दिये जाने वाला यश भारती सम्मान 2016 में 2 बार दिया गया. पहली बार 50 से उपर और दूसरी बार 70 से उपर लोगों को यश भारती सम्मान दिया गया. यही नहीं जिन लोगों के नामों का चुनाव यश भारती सम्मान पाने वालों में नहीं भी शामिल हुआ, उनको सम्मान समारोह स्थल पर ही सम्मान देने की घोषणा कर दी गई. मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की इस कार्यशैली ने यश भारती सम्मान को सवालों के घेरे में खडा कर दिया. जिससे इस सम्मान की गरिमा को तो ठेस लगी ही लोगों को यश भारती पर सवाल उठाने का मौका मिल गया. अक्टूबर माह में बांटे गये यश भारती सम्मान की लिस्ट में शामिल नामों में अतिम समय तक फेरबदल होता रहा. इसके बाद भी 2 लोगों को समारोह स्थल पर ही यश भारती सम्मान दिया गया जिनके नाम इसमें शामिल भी नहीं थे.

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