उत्तर प्रदेश में बाबा साहब अंबेडकर को लेकर राजनीति खेमेबंदी चरम पर पहुंच चुकी है. सभी दलों ने अलग अलग डॉक्टर भीम राव अंबेडकर की जयंती मनाई. लखनऊ में बने अंबेडकर पार्क में बसपा नेता मायावती ने अंबेडकर जयंती मनाई तो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हजरतगंज चैराहे पर लगी बाबा साहब की मूर्ति पर फूल चढाकर जंयती मनाई. पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने समाजवादी पार्टी कार्यालय में ही डॉक्टर अंबेडकर की फोटो पर फूल चढाये. अंबेडकर सभा ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और राज्यपाल राम नाइक को अपने कार्यालय बुलाकर डॉक्टर अंबेडकर जयंती मनाई. भाजपा ने केन्द्र से लेकर राज्य तक डॉक्टर अंबेडकर का महिमामंडन किया. केन्द्र सरकार ने भीम नाम का मोबाइल ऐप जारी किया तो राज्य सरकार ने अंबेडकर को नीले रंग की जगह केसरिया रंग में दिखाने की कोशिश की.

डॉक्टर अंबेडकर का योगदान पूरे समाज के लिये था. समय के साथ वोट बैंक की राजनीति ने उनको एक वर्ग का नेता बना दिया. इस वर्ग को खुश करने के लिये सभी ने डॉक्टर अंबेडकर की खेमेबंदी कर लोगों को रिझाना शुरू कर दिया. सबकी आस्था डॉक्टर अंबेडकर में है. उनको विचारों को पालन कोई नहीं करता. देश, धर्म, समाज और न्याय व्यवस्था को लेकर डॉक्टर अंबेडकर ने जो कुछ कहा उसको लोग भूल चुके हैं. सभी की कोशिश यह है कि वह अपने को अंबेडकर का करीबी बताकर उनसे जुड़े वर्ग के वोट हासिल कर सके.

भाजपा ने महापुरूषों के नाम पर हो रही राजनीति के प्रभाव को कम करने के लिये जातीय पर धर्म को हावी करने का काम किया. डॉक्टर अंबेडकर से पहले गांधी और पटेल को लेकर वह ऐसा कर चुकी थी. कांग्रेस से गांधी और पटेल की पहचान को छीन लिया. वोट के लिहाज से देखें तो अंबेडकर सबसे बड़े वर्ग का समर्थन हासिल करते हैं. अब भाजपा इस वर्ग को अपने निशाने पर रखकर काम कर रही है. काफी हद तक यह वर्ग अब अपने पुराने मुद्दों को छोड़कर भाजपा के सबका साथ सबका विकास से प्रभावित हो चुकी है.

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