आम लोगों की यह धारणा बनी हुई है कि यदि जल्दी काम कराना है या समय बचाना है तो संबंधित काम ठेके पर दे दो. भवन निर्माण के क्षेत्र में ठेकेदारी का चलन सब से अधिक है. यहां का ज्यादातर काम ठेकेदारी पर ही होता है. अब तो भवन निर्माण में काम करने वाले कारीगर भी ठेके पर काम करना अधिक मुनासिब समझते हैं.

कैसे करें अनुबंध

भवन निर्माण ठेकेदार से 2 तरह से अनुबंध किया जा सकता है. पहले में यह होता है कि भवन मालिक अपने भवन के निर्माण का संपूर्ण ठेका ठेकेदार को दे देता है. इस में भवन मालिक को सिर्फ पैसा देना पड़ता है. भवन निर्माण सामग्री एवं मजदूर व कारीगरों की व्यवस्था ठेकेदार अपनी तरफ से करता है. दूसरे प्रकार में भवन मालिक निर्माण से संबंधित समस्त सामग्री उपलब्ध करा देता है. इस में ठेकेदार के कारीगर व मजदूर होते हैं.

एक बात यहां जरूर ध्यान में रखनी चाहिए कि ठेका किसी भी प्रकार का हो, ठेकेदार को ठेका देते समय सभी बातें व शर्तें लिखित में होनी चाहिए, ताकि बाद में ठेकेदार अपने अनुबंध से मुकरे नहीं. अकसर होता यह है कि ठेकेदार अपने क्षेत्र के माहिर होते हैं, ऐसे में वे भोलेभाले भवन मालिकों को चूना लगाने से नहीं चूकते. इसलिए ठेकेदार से जो भी अनुबंध करें, लिखित में, स्टांपपेपर पर करें.

आर्किटैक्ट की भूमिका

भवन निर्माण के संबंध में आर्किटैक्ट की भूमिका को नकारा नहीं जा सकता. आर्किटैक्ट की उपयोगिता दिनोंदिन बढ़ती जा रही है, क्योंकि एक आर्किटैक्ट ही भवन मालिक के बजट के अनुसार बढि़या से बढि़या योजना बना कर हवादार व सुंदर भवन का डिजाइन तैयार करता है. एक इंजीनियर भवन में विशालता एवं मजबूती ला सकता हैं, उस में खूबसूरती सिर्फ एक आर्किटैक्ट ही पैदा कर सकता है. किसी भी अनुभवी आर्किटैक्ट के दिशानिर्देशन में कम लागत में बेहतर मकान, सर्वश्रेष्ठ निर्माण क्वालिटी व आवश्यक समयावधि में बनवाया जा सकता है.

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