आज सुबह से ही मेरी पड़ोसन शोभा के यहां उठापटक हो रही थी. जब सुबह दूध लेते वक्त मेरी उन से मुलाकात हुई तो मैं ने इस उठापटक की वजह पूछी.

वे जोश से भर कर बोलीं, ‘‘आज दोपहर को मेरे जेठजेठानी अपने परिवार समेत आ रहे हैं. बस, हम उन्हीं के स्वागत की तैयारी में बिजी थे.’’

बातों ही बातों में उन्होंने बताया कि कैसे पिछले हफ्ते से ही वे जेठानी के परिवार के हर सदस्य का मनपसंद खाना बनाने और उपहार लाने में मसरूफ थीं.

पड़ोसन की बातें सुन कर मुझे अपनी मां की याद आ गई कि जब ताईजी और ताऊजी आने वाले होते थे तो कैसे मां थरथर कांपने लगती थीं और ताईजी के आने के बाद अपने ही घर में मम्मी की जगह जीरो हो जाती थी, पर आज शोभा की बातें सुन कर नए जमाने की देवरानीजेठानी के रिश्ते की यह नई बहार मेरे मन को बड़ा सुकून दे गई.

हकीकत में आज के इस नए जमाने की बहुएं देवरानीजेठानी के बजाय सहेली और बहनें बन कर रहना ज्यादा पसंद कर रही हैं. पुरानी दकियानूसी सोच को छोड़ कर वे आज एकदूसरे की साथी बन कर समाज में इस रिश्ते को नया रूप दे रही हैं.

आज तकनीक का जमाना है. इस में एकदूसरे से जुड़े रहने के अनेक साधन हैं. इन का इस्तेमाल भी आज की औरतें अपने रिश्तों को मजबूत करने में बखूबी कर रही हैं.

मुंबई की रहने वाली अणिमा की बेंगलुरु में रहने वाली जेठानी खाना बनाने में माहिर हैं. अणिमा अकसर वीडियो कौलिंग कर के अपनी जेठानी से नईनई रैसिपी पूछती रहती है. साथ ही, उस ने कोशिश कर के अपनी जेठानी का कुकिंग का यूट्यूब चैनल भी बनवा दिया है, जिस से जेठानी भी घर बैठे अच्छीखासी कमाई कर लेती हैं. दोनों दूर रह कर भी एकदूसरे की साथी बन गई हैं.

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