रेडी टु ईट/प्रीकुक्ड फूड यानी वे ईटेबल फूड आइटम जो सीधे, बिना पकाए, पकाने या काटनेछांटने व धोने की झंझटों से दूर बस गरम कर खाए जा सकें. मतलब यह कि अगर आप किसी दुकान से रेडी टु ईट खाने का बौक्स या पैकेट खरीद कर लाते हैं तो आप को उसे पकाने के लिए कुछ और करने की जरूरत नहीं है. मान लीजिए, आप दालमखनी का रेडी टु ईट पैक लाते हैं तो न तो कोई अलग से दाल डालने की जरूरत है न नमक और न ही तेलमसाला. इसी तरह

खिचड़ी, दलिया, मीट से ले कर पुलाव, मटरपनीर, पालकपनीर, छोले, कोफ्ता, नवरतनकोरमा, बिरयानी, मटनकोरमा, शाहीपनीर, टिक्काकबाब ही नहीं बल्कि नूडल्स, सूप, चिकन नगेट्स, चिकन बौल्स, मीट बौल्स, मटन नगेट्स, साग, पनीर तक हर वह डिश जो आप किचन में बनाते हैं, रेडी टु ईट फौर्मेट में उपलब्ध है.

यही वजह है कि आजकल की व्यस्त जिंदगी में लोग रेडी टु ईट और रेडी टु कुक ब्रैंड्स खूब पसंद कर रहे हैं. हाल में केरल के बाढ़ पीडि़तों को भी रेडी टु ईट फूड के पैकेट राहत सामग्री के तौर पर भेजना काफी आसान लगा, बजाय परंपरागत भोजन भिजवाने के.

क्यों है चलन

रेडी टु ईट का चलन इसलिए भी जोर पकड़ रहा है क्योंकि अचानक किसी मेहमान के आ जाने पर पैकेट फूड या फ्रोजन फूड का बड़ा सहारा होता है और दूसरा बड़ा कारण है इस की उपलब्धता. ये रेडी टु ईट फूड मौल्स से ले कर नुक्कड़ की दुकानों तक हर जगह उपलब्ध हैं.

यदि आप को सुबह छोले बनाने हैं तो रात से ही तैयारी करनी पड़ती है. उन्हें पानी में भिगोना, सुबह तमाम मसालों को तालमेल के साथ तैयार करना व फिर छोले उबालना, मसाले पीसना, भूनना वगैरह. लेकिन रेडी टु ईट को सीधे गरम कीजिए और सर्व कर डालिए. सब्जीभाजी से ले कर मछलीमीट तक प्रीकुक्ड यानी पहले से तैयार खाने का सामान बंद पैकेटों में मिल जाता है.

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