किसी भी महिला के जीवन में मातृत्व दुनिया का सब से अद्भुत अनुभव होता है. जब कोई महिला पहली बार मां बनती है, तो अपनी इस अनमोल खुशी का ध्यान रखने के बारे में उसे अपने करीबियों से ढेरों सलाहें मिलना स्वाभाविक है. मगर एक समझदार मां होने के नाते यह जरूरी है कि वह विशेषज्ञ की राय के अनुसार ही चले, क्योंकि एक छोटा सा निर्णय भी बच्चे के बढ़ने की उम्र पर असर डाल सकता है.

मांओं में नवजातों की देखभाल को ले कर निम्न मिथक पाए जाते हैं:

नवजात की दिनचर्या तय करना अच्छा होता है: हर मां का अपने बच्चे के जीवन में थोड़ा अनुशासन लाने की कोशिश करना स्वाभाविक है. हालांकि बच्चे को दिनचर्या के लिए दबाव डालना आसान नहीं है. बड़ों से सलाह लेने और किताबें पढ़ने के बावजूद आमतौर पर शिशु के सोने का पैटर्न मांओं के लिए सब से अधिक परेशानी का सबब बनता है.

ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि कुछकुछ घंटों के अंतराल पर सोने के कारण हर 3-4 घंटे में स्तनपान कराना होता है. बच्चे के बड़े होने के साथसाथ इस में धीरेधीरे बदलाव आने लगता है.

दांत आने पर बुखार होता है: हर मां को यह गलतफहमी होती है कि जब भी नवजात को बुखार आता है, तो वह दांत आने की वजह से हो रहा होता है, लेकिन सामान्यतौर पर दांत 6 से 24 महीने के बीच निकलते हैं. यह एक ऐसा समय होता है जब बच्चों में भी संक्रमण होने की आशंका होती है. इसलिए मांओं के लिए यही बेहतर है कि अनुमान लगाने के बजाय कुछ दिन शिशु पर निगरानी रखें और यदि लक्षण बने रहते हैं, तो फिर डाक्टर को दिखाएं.

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