बच्चों को तंदुरुस्त बनाने के ख्वाहिशमंद न हों, लेकिन बच्चों की अच्छी सेहत के लिए उन्हें खानेपीने के अलावा कौन से ऐसे टौनिक दिए जाने चाहिए जो बच्चों को कोई नुकसान न पहुंचाते हों, यह सभी को नहीं मालूम होता है.

सरकारी इश्तिहार बताते हैं कि इन दिनों बच्चों में कुपोषण तेजी से बढ़ रहा है. दुनियाभर की एजेंसियां अपनेअपने सर्वे में बच्चों की गिरती सेहत को ले कर आंकड़ों के जरीए चिंता जता रही हैं. तमाम आंकड़ों से एक बात उजागर होती है कि बच्चों की बेहतर सेहत के लिए उन्हें जरूरी विटामिन, प्रोटीन और दूसरे जरूरी तत्त्व नहीं मिल पा रहे हैं.

पर क्या बिना डाक्टरी सलाह के टौनिक दिए जाने चाहिए? इस सवाल पर मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले के रिटायर्ड सर्जन और सीनियर डाक्टर कौशल किशोर श्रीवास्तव कहते हैं कि बिलकुल दिए जा सकते हैं और दिए जाने भी चाहिए. मल्टीविटामिन और विटामिन बी कौंप्लैक्स के टौनिक तो बच्चों के लिए बहुत जरूरी होते हैं जो अलगअलग कंपनियां अलगअलग नामों से बनाती हैं.

बी कौंप्लैक्स की कमी आम है, यह कई विटामिनों का ग्रुप है. अकसर रोजाना की खुराक से इन विटामिनों की भरपाई नहीं हो पाती जिस से बच्चे को भूख कम लगती है और वह कमजोर और चिड़चिड़ा होने लगता है. किसी भी कैमिस्ट की दुकान से ये टौनिक खरीद कर बच्चे को दिए जा सकते हैं लेकिन इन्हें लगातार ज्यादा वक्त तक नहीं देना चाहिए.

इसी तरह बढ़ते बच्चों में कैल्शियम की कमी की शिकायतें भी आम हैं. मजबूत हड्डियों के लिए कैल्शियम बेहद जरूरी है इसलिए बच्चों को कैल्शियम की गोली देना हर्ज की बात नहीं, क्योंकि हड्डियां बनती ही कैल्शियम से हैं.

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