पीरियड्स के दौरान दर्द होना बेहद आम बात है. इसे डिसमेनोरिया कहते हैं. बोलचाल की भाषा में इसे मैंस्ट्रुअल पेन भी कहते हैं. कुछ स्थितियों में यह दर्द ज्यादा परेशान करने वाला भी हो सकता है. यह समस्या धीरेधीरे तभी घटती है जब रक्तस्राव घटता है. जब दर्द की स्थिति किसी बीमारी का कारण बनती है, तो इसे सैकंडरी डिसमेनोरिया कहते हैं.

सैकंडरी डिसमेनोरिया के कई कारण हो सकते हैं, जैसे ऐंडोमिट्रिओसिस यूटरिन फाइब्रौयड्स और सैक्सुअली ट्रांसमिटेड डिजीज (सैक्स के दौरान फैलने वाले रोग) ऐंडोमिट्रिओसिस की समस्या परिवारों में देखने को मिलती है. मां के इस रोग से प्रभावित होने पर उस की बेटियों में करीब 8 फीसदी तक इस के होने की आशंका रहती है. बहनों में 6 फीसदी तक इस के होने का खतरा रहता है. 7 फीसदी चचेरे भाईबहन से होने का खतरा भी रहता है. खास बात यह है कि करीब 30-40 फीसदी मरीज जो ऐंडोमिट्रिओसिस से प्रभावित हैं, उन में बांझपन की समस्या भी देखी जाती है.

अनियमित पीरियड्स कई शारीरिक परेशानियों के कारण होते हैं. वैसे सामान्य स्थिति में मासिकधर्म का एक चक्र 3 से 7 दिन का होता है. कई साल तक इस के होने के बाद महिलाएं एक चक्र में स्थापित हो जाती हैं.

यहां तक कि कुछ महिलाएं तो मासिकधर्म आने के ठीक समय का अंदाजा लगा लेती हैं. कुछ महिलाओं को अधिक रक्तस्राव होता है तो कुछ को न के बराबर. टीनऐज युवतियों में इस तरह की समस्या हारमोंस में गड़बड़ी के कारण हो सकती हैं. लेकिन एक उम्र में इस बदलाव के कुछ और भी कारण हो सकते हैं.

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