फिल्म का मुख्य नायक अमिताभ बच्चन कालेजलाइफ से ही फिल्म की नायिका राखी से प्यार करता है. कालेज के बाद राखी को पारिवारिक वजहों के चलते फिल्म के सहनायक शशि कपूर से शादी करनी पड़ती है. जब वह यह बात अमिताभ बच्चन को बताती है तो वह बजाय भड़कने के, बड़े भावुक व दार्शनिक अंदाज में राखी से कहता है कि उसे कोई हक नहीं है कि वह अपनी खुशियों के लिए अपने मांबाप के अरमानों का गला घोंटें. फिल्म ‘कभी कभी’ का यह दृश्य इतना प्रभावी था कि आज तक दर्शकों के जेहन में मौजूद है.

80 के दशक की फिल्म ‘कभी कभी’ महज इसलिए हिट नहीं हुई थी कि वह कई नामी सितारों से सजी हुई थी, बल्कि इसलिए ज्यादा पसंद की गई थी कि उस में 2 पीढि़यों की प्रेमकथाएं और प्रेमियों का अंतर्द्वंद्व अलगअलग तरह से दिखाया गया था.

ऐसा सिर्फ इसलिए क्योंकि अब कोई युवा इस तरह का जवाब प्रेमिका को नहीं देता. 30-40 सालों में वक्त व हालात बहुत बदल गए हैं. लवमैरिज अब कोई अजूबी बात नहीं रह गई है. अब उन्हें पारिवारिक स्वीकृति और सामाजिक मान्यता मिलने लगी है.

लेकिन प्यार तब की तरह आज भी सफल हो, इस की गारंटी नहीं. बदलाव यह भी आया है कि अब प्यार में बाधा मांबाप या परिवारजन कम, खुद युवा ज्यादा डालने लगे हैं. प्यार की नाकामी वे बरदाश्त नहीं कर पाते तो या तो वे हिंसक हो उठते हैं या फिर अंतर्मुखी बनते जिंदगी जीने का सलीका भूल जाते हैं.

हर दौर में युवाओं का दिल टूटता रहा है लेकिन प्यार जैसा हसीन जज्बा आज भी बरकरार है. कभी जिम्मेदारियां उठाने को तैयार करने वाला प्यार अब युवाओं को जिम्मेदारियों से भागना और आंखें बंद कर लेना सिखा रहा है, तो बात जरूर चिंता की है कि क्या वाकई प्यार युवाओं को खुदगर्ज व पलायनवादी बना रहा है जो रत्तीभर भी अपने परिवार या जीवन के बारे में नहीं सोच पाते.

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