मौद मुक्त बांग्ला चाई – यानि शराब मुक्त बंगाल चाहिए - के नारे के साथ कोलकाता की सड़कों पर बड़ी संख्या में महिलाएं उतरी. शराब मुक्त बंगाल की मांग को लेकर सड़क पर उतरी महिलाओं में ज्यादातर निम्न और निम्न-मध्य वर्ग की महिलाएं ही बड़ी तादाद में थी. लेकिन जुलूस में इन वर्गों की हर उम्र की महिलाओं ने भाग लिया. जाहिर है ये महिलाएं पहले शराब की सतायी हैं और फिर शराब के लिए पतियों के अत्याचार से. शराब ने सिर से छत छीन लिया, बच्चों को भूखा रहने को मजबूर किया - ऐसी महिलाओं ने इस जुलूस-प्रदर्शन में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया. पार्क सर्कस से लेकर बऊबाजार आबकारी विभाग तक जुलूस-प्रदर्शन किया. इस जुलूस का आयोजन वेलफेयर पार्टी औफ इंडिया नाम संगठन ने किया था.

जुलूस में शामिल विभा मंडल ने बताया कि वह सुबह से शाम तक लोगों के घरों में बर्तन-चौका और कपड़े धोने का काम करके किसी तरह घर चलाती है. लेकिन शाम को घर पहुंचते ही बेरोजगार पति शराब के लिए पैसे मांगता है. आनाकानी करने पर मारता-‍पीटता है. एक बार तो पैसे न देने पर पांच साल की बेटी को बेचने का जुगाड़ तक कर लिया. इसके बाद पति के साथ न रहने का माला ने मन बना लिया. अब वह अपनी बेटी के साथ मायके में रहती है.

शकिना बेगम के पति को गुजरे 12 साल हो गए. तबसे तीन बेटे और दो बेटियों को बीड़ी बना कर शकिना ने किसी तरह बड़ा किया. गनीमत थी कि मध्य कोलकाता की एक बस्ती (झोपड़पट्टी इलाका) उसका अपना घर था. लेकिन बड़ा होने के साथ बेटों ने शराब पीना शुरू किया. पहले कभी-कभार पीता था. अब शराब की लत लग चुकी है. आए दिन मां से झगड़ा करता पैसों के लिए. शराब का खर्च जुगाड़ने के लिए एक दिन पता चला कि दोनों बेटों ने मिलकर घर बेच दिया. मुहल्ले के क्लब के पास गुहार लगाने गयी. लेकिन क्लब वालों ने कानूनी रास्ता अपनाने का सुझाव दिया. शकिना ने इसके लिए भी थोड़ी भाग-दौड़ की. चूंकि यह उसके बस का नहीं था, इसीलिए तीन बेटियों के लेकर किराए की खोली में उसे जाना पड़ा.

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