सफल स्टारपुत्रियों में करीना कपूर एकमात्र ऐसी अदाकारा हैं जिन्होंने अपने नाम के साथ ‘देसी’, ‘बोल्ड’ या ‘सैक्सी’ किसी भी तरह का कोई ‘टैग’ नहीं लगाया. जबकि वे बौलीवुड में 15 वर्षों से कार्यरत हैं. सैफ अली खान के साथ शादी के बाद भी उन के कैरियर पर कोई असर नहीं पड़ा. वे आज भी अपनी शर्तों पर फिल्में कर रही हैं. उन्होंने हर खान के साथ 2-2 फिल्में की हैं और अब वे सलमान खान के साथ तीसरी फिल्म ‘बजरंगी भाईजान’ करने जा रही हैं.

पेश हैं करीना से लंबी बातचीत के प्रमुख अंश:

15 साल के अपने अभिनय कैरियर में आप ने बिकिनी पहनी, किसिंग व सैंसुअल सीन किए, फिर भी आप के ऊपर कोई टैग नहीं लगा. जबकि आज की नई अभिनेत्रियां 1-2 फिल्में करने के साथ ही ‘बोल्ड ऐक्ट्रैस’ या ‘सैक्सी ऐक्ट्रैस’ या ‘सैंसुअल ऐक्ट्रैस’ का टैग लगवा लेती हैं. इसे आप किस तरह से देखती हैं?

पहली बात तो मैं ने अब तक सिनेमा के परदे पर जो कुछ किया है वह कहानी व चरित्र की मांग को ध्यान में रख कर किया है. दूसरी बात, मैं ने हमेशा अलगअलग तरह के किरदार निभाने की कोशिश की. मैं ने अपने कैरियर में एक ही टाइप के किरदार नहीं निभाए. इसलिए एक कलाकार के तौर पर मेरी अपनी पहचान है. दूसरी अभिनेत्रियां शायद बारबार एक ही तरह के किरदार निभाती हैं. इसलिए उन के ऊपर टैग लग जाते हैं.

क्या कहानी लिखने वाले लेखकों की कमी है?

लेखकों की कमी नहीं है. वे दरअसल भेड़चाल के शिकार हैं. तकरीबन सभी एक ही अंदाज की कहानियां लिख रहे हैं. एक चीज चल जाती है, तो फिर लोग उसी तरह की चीजें लिखते रहते हैं.

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