विवादित फिल्म ‘लिपस्टिक अंडर माई बुर्का’ की निर्देशिका अलंकृता श्रीवास्तव दिल्ली की हैं. उन्हें बचपन से ही फिल्मों का शौक था. उन के इस शौक को प्रोत्साहन उन के मातापिता से मिला, जिन्होंने हर काम में उन्हें आजादी दी. पढ़ाई पूरी कर वे मुंबई आईं और पिछले 13 वर्षों से यहीं अकेले रह रही हैं.

स्पष्टभाषी और साहसी अलंकृता की फिल्म को सैंसर बोर्ड के सर्टिफिकेशन का इंतजार है. इस फिल्म के निर्माता प्रकाश झा हैं. सर्टिफिकेशन न मिलने की वजह से परेशान निर्माता, निर्देशक ने कानून का दरवाजा खटखटाया है. यह फिल्म ट्रिपल तलाक और महिलाओं की आजादी को छीनने वालों पर एक तमाचा है, जिसे सैंसर बोर्ड किसी भी हालत में रिलीज नहीं करना चाहता. फिर भी अलंकृता अपनी छाप छोड़ रही हैं.

इस क्षेत्र में आने की प्रेरणा कहां और किस से मिली, इस सवाल पर वे कहती हैं, ‘‘दिल्ली में मैं ने अपनी शुरुआती पढ़ाई पूरी कर पत्रकारिता में स्नात्तकोत्तर की शिक्षा प्राप्त की. फिर मैं फिल्म ‘गंगाजल’ के लिए टे्रनी बन कर मुंबई आई. मैं ने प्रकाश झा को उस फिल्म के लिए असिस्ट किया. पहली फिल्म से मैं ने बहुतकुछ सीखा.

‘‘इस के बाद चीफ असिस्टैंट बनी, ‘अपहरण’ आदि फिल्में की. इस के बाद मैं ने कुछ छोटी फिल्में अकेले की. और फिर ‘राजनीति’ फिल्म में असोसिएट निर्देशक बन गई. इस तरह धीरेधीरे आगे बढ़ती गई. इस के बाद मैं ने ‘लिपस्टिक अंडर माई बुर्का’ के विषय पर काम करना शुरू किया. इसे लिखने में थोड़ा समय लगा. प्रकाश झा ने इस कहानी को पढ़ कर एक बार में पसंद किया. 2014 से मैं इस फिल्म पर काम करती रही हूं. अब फिल्म तो बन गई है, लेकिन रिलीज नहीं हो पा रही है.’’

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