अभिनेत्री दीप्ति नवल के अभिनय की जितनी तारीफ की जाए उतनी कम है. स्वभाव से नम्र, हंसमुख, सादगी को समेटे दीप्ति हर बात को सहजता व आत्मविश्वास के साथ कहती हैं.

37 साल से अभिनय के मैदान में जमी दीप्ति ने न केवल अभिनय के बल पर अपनेआप को हर किरदार में साबित किया बल्कि अपने मन के रचनात्मक विचारों को कविता के माध्यम से खूबसूरत अंदाज में कागज के पन्नों पर उतारा भी. वे हर नई चीज सीखने का शौक रखती हैं. उन्हें हर क्रिएटिव वर्क पसंद है, यही वजह है कि उन्होंने फोटोग्राफी और पेंटिंग भी की है.

पंजाब के अमृतसर में जन्मी दीप्ति की प्रारंभिक शिक्षा हिमाचल प्रदेश के पालमपुर में हुई. फिर वे पिता के साथ अमेरिका चली गईं. वहां से स्नातक की डिगरी हासिल की. कालेज के बाद उन्होंने फिल्म मेकिंग सीखी और कुछ ही दिनों बाद भारत वापस आईं और अभिनय के क्षेत्र में कैरियर की शुरुआत की.

श्याम बेनेगल की ‘जुनून’ फिल्म से अभिनय शुरू करने वाली दीप्ति के लिए फिल्मों में कदम रखना आसान नहीं था. बचपन से ही उन्हें अभिनय का शौक था. अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद जब उन्होंने अपने मातापिता के सामने अभिनय करने की इच्छा जाहिर की तो पिता ने समझाया था कि अभिनय केवल एक उम्र तक ही साथ देगा जबकि पेंटिंग जब तक चाहे कर सकती हैं. लेकिन पिता ने हमेशा उन्हें अपने जीवन से जुड़ा फैसला खुद करने की आजादी भी दी थी.

वे कहती हैं, ‘‘जब हम छोटे थे तो पिताजी कहा करते थे कि पूरी उम्र आप को ‘ग्रो’ करते रहना है. काम कभी खत्म नहीं होता. वे टीचर थे और पूरा जीवन इसी पेशे में बिताया. वे हमेशा प्रोत्साहन देते थे. आज भी मैं उन की बताई सीखों पर चलती हूं.’’

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