बहुमुखी प्रतिभा के धनी अनूप जलोटा महज भजन गायक नहीं हैं. वह भजन के अलावा गजल व कविताएं भी गाते हैं. वह संगीत की धुन भी बनाते हैं. वह नई नई प्रतिभाओं को संगीत की शिक्षा भी देते हैं. वह अभिनेता व फिल्म निर्माता भी हैं. अब तो वह प्रसार भारती के बोर्ड के सदस्य भी हैं. अनूप जलोटा ऐसी शख्सियत हैं, जिनकी फोटो की कभी लोग पूजा किया करते थे. पेश है उनसे हुई खास बातचीत…

आपकी पहचान भजन सम्राट की है, पर अब आप अभिनय भी करने लगे हैं?

- मैं अभिनय भी 42 साल से करता आ रहा हूं. 1975 में फिल्मों में मुझसे सबसे पहले बी के आदर्श ने अभिनय करवाया था. उन्हे मेरा गाना पसंद था. वह अपने बंगले पर ले गए. संपूर्ण संतदर्शनम फिल्म का नाम था. इसमें संत ज्ञानेश्वर का किरदार निभाने का मौका दिया था. उससे पहले मैंने लखनऊ में काफी थिएटर किया था. स्कूल कालेज में कई नाटक किए थे. ‘संपूर्ण संतदर्शन’ के बाद मैंने आकृति व दीपशिखा की मां श्रद्धा पंचोटिया की गुजराती फिल्म की. इस फिल्म में उन्होंने मुझे संगीत देने का भी अवसर दिया था. फिर कई फिल्मों में मैंने अभिनय किया. उसके बाद किरण मिश्रा ने मुझे फिल्म ‘‘प्यार का सावन’’ में हीरो बना दिया. इसमें मेरे साथ अरूण गोविल भी हीरो थे. मैं इसमें क्लासिकल सिंगर था. अरूण गोविल फोकसिंगर थे. मेरी हीरोईन देवश्रीराय थी. जबकि अरूण गोविल की हीरोइन साधना सिंह थी. फिर फिल्म ‘‘चिंतामणि सूरदास’’ इसमें मैने तानसेन का किरदार निभाया. सूरदास पर बनी बंगाली फिल्म में हीरो था.

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