शाहिद कपूर के करियर पर जब निगाह दौड़ाते हैं, तो पता चलता है कि शाहिद ने जब जब विशाल भारद्वाज के निर्देशन में फिल्में की है, तब तब उन्हें सफलता मिली है. फिलहाल वह विशाल भारद्वाज निर्देशित फिल्म ‘‘रंगून’’ को लेकर काफी उत्साहित हैं.

आपके करियर में जो टर्निंग प्वाइंट रहे हैं, उनका आपकी निजी जिंदगी में क्या असर रहा?

मेरी जिंदगी व मेरे करियर में पहला टर्निंग प्वाइंट पहली फिल्म ‘‘इश्क विश्क’’ का मिलना ही रहा. मैं किसी स्टार का बेटा नही हूं. मेरे पिता कलाकार हैं, स्टार नहीं. आप भी जानते हैं कि कलाकार और स्टार में बहुत बड़ा फर्क होता है. दोनों को किस तरह से ट्रीट किया जाता है, उससे भी आप वाकिफ हैं. उसके बाद दूसरा टर्निंग प्वाइंट रहा, जब मैंने ‘विवाह’ और ‘जब वी मेट’ जैसी फिल्में की. इन फिल्मों से मेरी एक रोमांटिक इमेज लोगों के जेहन में बसी. अब इस ईमेज को तोड़ना भी मेरे लिए चुनौती बन गयी थी.

उसके बाद तीसरा टर्निंग प्वाइंट फिल्म ‘‘कमीने’’ करना रहा. जहां मैंने अपनी इमेज को तोड़ा. यह मेरे लिए अच्छी बात रही. क्योंकि इमेज में बंधकर काम करना मुझे कभी पसंद नहीं रहा. मेरा मानना है कि जब कलाकार किसी इमेज में बंध जाता है, तो कई बंदिशों से वह घिर जाता है. इसके बाद चौथा टर्निंग प्वाइंट फिल्म ‘‘आर राजकुमार’’ को मिली सफलता रही. क्योंकि इससे पहले मेरी तीन चार फिल्में बुरी तरह से असफल हो चुकी थीं. इस वजह से ‘आर राजकुमार’ मेरे लिए बहुत महत्व रखती है.

फिर दो तीन वर्षों में ‘हैदर’, ‘उड़ता पंजाब’ और अब ‘रंगून’ टर्निंग प्वाइंट हैं. इसके बाद ‘पद्मावती’ भी मेरे करियर में टर्निग प्वाइंट लेकर आएगी. हां! बीच में ‘शानदार’ की असफलता भी टर्निंग प्वाइंट थी, इसने मुझे हिला दिया था. पर बहुत कुछ सिखाया भी. पर यह सच है कि हर टर्निंग प्वाइंट के समय मैं अलग अलग स्टेट ऑफ माइंड में रहा. इन सभी टर्निंग प्वाइंट ने मुझे एक ऐसी दिशा दी, जिससे कि मैं कलाकार के तौर पर कुछ बेहतरीन काम कर सकूं. मैं नयी नयी चीजें दर्शकों और प्रशंसकों को देना चाहता हूं. यदि ‘रंगून’ और ‘पद्मावती’ सफल हो गयीं, तो मेरा आत्म विश्वास और बढ़ेगा. दर्शकों का मुझ पर यकीन बढ़ेगा.

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