संयुक्त राष्ट्र के महासचिव के रूप में अंतोनियो गुतेरेस को शरणार्थियों की बढ़ती संख्या, आतंक और गृह युद्ध, उभरते संकीर्ण राष्ट्रवाद, आर्थिक संकट और जलवायु परिवर्तन जैसी समस्याओं का सामना करना है. उन्होंने कहा है कि वे शांति और विकास के लिए समर्पित होंगे तथा इस विश्व संस्था में जरूरी सुधारों के लिए प्रयासरत होंगे.

समाजवादी नेता के रूप में पुर्तगाल के प्रधानमंत्री रह चुके गुतेरेस साल 2005 से 2015 तक संयुक्त राष्ट्र की शरणार्थी संस्था यूएनएचसीआर के प्रमुख रहे हैं. वे वैश्विक आतंकवाद और चरमपंथ तथा शरणार्थी संकट के अंतर्संबंधों को बेहतर समझते हैं. अंतरराष्ट्रीय कूटनीति के जटिल संजाल ने आतंक पर कठोर रुख अपनाने की उनके पूर्ववर्ती बान की मून की कोशिशों को फलीभूत नहीं होने दिया है.

संयुक्त राष्ट्र महासभा की चिंताएं सुरक्षा परिषद में विशिष्ट सदस्य के रूप में बैठी महाशक्तियों की आपसी राजनीति में उलझी रह जाती हैं. भारत समेत अनेक देश संयुक्त राष्ट्र को उत्तरोत्तर लोकतांत्रिक बनाने की मांग बरसों से करते रहे हैं, जिनमें सबसे प्रमुख सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यों की संख्या बढ़ाना है.

पाकिस्तान की शह पर भारत-विरोधी गतिविधियों को अंजाम देनेवाले आतंकी सरगना मसूद अजहर पर पाबंदी लगाने का प्रस्ताव चीन के अड़ियल रवैये के कारण कई महीनों से लंबित है. भारत ने 1996 में अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद पर समेकित सम्मेलन का प्रस्ताव दिया था, जिसे संयुक्त राष्ट्र महासभा ने स्वीकृत भी कर लिया है, पर अमेरिका, इसलामी देशों के समूह और लैटिन अमेरिकी देशों के अड़ंगे के चलते दो दशकों बाद भी इस पर कोई निर्णय नहीं लिया जा सका है, जबकि आपत्ति जतानेवाले देश भी आतंकी गतिविधियों का निशाना बनते रहे हैं.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...