संपूर्णानंदजी बड़े उत्साह से विधायक दल की बैठक में पहुंचे थे. चुनाव में उन्होंने और उन के अनुयायियों ने जीतोड़ परिश्रम किया था फिर भी वह पूर्णतया आश्वस्त नहीं थे कि उन के जनतांत्रिक दल को बहुमत मिलेगा.

जैसे ही उन के राज्य के चुनाव परिणाम आने लगे, वह सुखद आश्चर्य से भरपूर अद्भुत अनुभूति के सागर में डूबनेउतराने लगे. मुख्यमंत्री की कुरसी उन के पूरे वजूद पर छा गई थी. आंखें मूंदते तो लगता हाथ बढ़ा कर उसे छू लेंगे. स्वप्न में स्वयं को उसी कुरसी पर बैठा पाते. दिन में दिवास्वप्न देखते और अपने घर वालों से भी मुख्यमंत्री की भांति ही व्यवहार करते.

आज विधायक दल की बैठक अपने दल के नेता को चुनने के लिए बुलाई गई थी. संपूर्णानंदजी पूरी तैयारी के साथ पहुंचे थे ताकि विधायक दल के नेता के रूप में चुने जाते ही वह अपने साथियों से विचारविमर्श कर सकें.

वह और उन के साथी राज्य में अपनी पार्टी की जीत का श्रेय उन की योजनाबद्ध तैयारी को ही देते थे. 5 साल में उन्होंने प्रदेश का कोनाकोना छान मारा था. वह हर तबके के लोगों से मिल कर उन की परेशानियों को समझ कर उन्हें दूर करने का प्रयत्न करते और सत्ता में आने पर उन सभी समस्याओं का समाधान करने का आश्वासन भी देते थे.

उन के प्रयत्न रंग लाए और जनतांत्रिक दल सभी की आशा के विपरीत बहुमत से जीता था. हाई कमान ने तुरंत 2 प्रतिनिधियों को राज्य की राजधानी भेज दिया था और उन्होंने आते ही विधायक दल की बैठक बुलाई थी.

संपूर्णानंदजी बड़े उत्साह से उच्च कमान के प्रतिनिधियों, अमन कुमार तथा योगेश राव से मिलने पहुंचे थे. उन्हें आशा ही नहीं विश्वास था कि दोनों प्रतिनिधि उन्हें देखते ही जीत की बधाई देंगे और भावी मुख्यमंत्री के रूप में उन का स्वागत करेंगे.

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