हिंदी के महीने के बारे में आप को पता है न, यह बहुत ही खास समय होता है, विशेषकर, सरकारी कार्यालयों के लिए. इस महीने में हम काफी हद तक अपनी मातृभाषा या राष्ट्रभाषा लेकिन कानूनन सरकारी यानी राजभाषा हिंदी के आंगन में सम्मान के सुंदर पौधे जरूर लगाते हैं. हर शहर में मुश्किल है लेकिन बड़े शहरों में नगर समितियां बनी हैं जो अनेक आयोजन करवाती हैं.

कार्यालयों को इन आयोजनों में बढ़चढ़ कर हिस्सा लेने के लिए आग्रहपत्र भेजे जाते हैं. उन्हें प्रेरित किया जाता है कि प्रतियोगिता के जमाने में कुछ नया व दिलचस्प हो ताकि सहभागिता बढ़े और हिंदी फैले, यहांवहां उगे. आयोजकों द्वारा यह खयाल जरूर रखा जाता है कि मेजबान और मेहमान जरूर कहें ‘वी एंजौयड अ लौट.’ यह प्रशंसनीय है कि सरकार के आदेशों ने हिंदी का मामला संजीदा बनाया है, इसलिए आयोजन करने ही पड़ते हैं.

एक कार्यालय में आयोजन का विषय रहा. ‘चित्र देखो कहानी लिखो प्रतियोगिता.’ बिलकुल ऐसा लगा जैसे किसी बालपत्रिका द्वारा नन्हेमुन्नों के लिए प्रतियोगिता हो रही है. शायद कर्मचारियों के हिंदी प्रेम को बुनियादी स्तर पर उगाने के लिए ही यह विषय रखा गया था. प्रतियोगिता सुबह 11 बजे रखी गई थी. लेकिन बेमौसमी बारिश होने लगी.

खराब मौसम के कारण प्रतियोगिता देर से शुरू होने की घोषणा हो चुकी थी. छतरी में भीगते बचते, मौसम को ‘एंजौय अ लौट’ करते आयोजनस्थल पर पहुंचे, तो पता चला आयोजन स्थल का दरवाजा बंद था. कोई मेजबान या उन का चेला नहीं दिखा.

समझदार आयोजकों को पता होता है कि आएगा आने वाला, तभी पुरस्कार पाएगा. दरवाजा खोला तो देखा मीटिंग चल रही है. यही सोचा कि गलत जगह आ गए हैं. गलत समय पर आने वाली बारिश में भीगा चेहरा साफ कर देखा, लगा कि जगह तो यही है. पूछ ही लिया, क्या यहां हिंदी से संबंधित प्रतियोगिता हो रही है. जवाब मिला, ‘नो, इट्स अ सैमिनार औन इंगलिश टीचिंग.’

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...