जब से पता चला है कि प्रदेश में कुत्तों की बढ़ती तादाद से परेशान हो कर नगरपालिका और नगरनिगमों द्वारा आवारा कुत्तों की नसबंदी कर दी जाएगी, तब से शहर में 4 टांग वाले कुत्तों के साथसाथ 2 टांग वाले आवारा कुत्ते भी गधे के सिर से सींग की तरह गायब हो गए हैं. पिछली बार जब मैं शहर गया था, तो एक पान की दुकान पर मेरा ध्यान गया. उस दुकान में पिछली बार की तुलना में बहुत कम लोग पान खाने आ रहे थे.

मैं ने पान वाले से उत्सुकतावश पूछा, ‘‘क्यों भाई, आजकल तुम्हारी दुकान पर भीड़भाड़ कम क्यों हो गई है? आखिर चक्कर क्या है?’’

पान वाला बोला, ‘‘भाई साहब, जब से शहर में कुत्तों की नसबंदी की बात सुनी है, तब से मेरी दुकान कम चलने लगी है. लोग अब यहां आने से डरने लगे हैं. उन्हें शायद यह लगता है कि कहीं उन्हें भी पकड़ कर उन की नसबंदी न कर दी जाए.’’

हम ने भी सोचा कि हम भी जल्दी ही यहां से खिसक लें. क्या पता, हम भी गेहूं के घुन की तरह पिस जाएं यानी लपेटे में आ जाएं. टांग और पूंछ के लिहाज से कुत्तों की भी कई किस्में होती हैं, जैसे 4 टांग वाले पूरी पूंछ वाले कुत्ते, पूंछ कटे कुत्ते और सब से खतरनाक बिना पूंछ के 2 टांग वाले कुत्ते. कुत्तों को भारतीय सभ्यता में एक खास जगह दी गई है. कुछ इनसानों ने कुत्तों के साथ रहतेरहते उन के एक गुण को छोड़ कर बाकी बहुत सी आदतें सीख ली हैं.

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