एलर्जी एक लाइलाज बीमारी है. एलर्जी यानी शरीर द्वारा कुछ विशेष तत्त्वों, जिन्हें एलर्जन कहते हैं, के प्रति अतिसंवेदनशील प्रतिक्रिया है. जो लोग एलर्जी से पीडि़त हैं उन के लिए सब से बेहतर उपाय यही है कि वे उन कारकों (एलर्जन) से बचें, जिन से एलर्जी है. एलर्जन अपने आप में हानिकारक नहीं होते हैं. कई लोगों को इन एलर्जन से कोई समस्या नहीं होती. लेकिन अतिसंवेदनशील लोगों में इन एलर्जन से कई लक्षण नजर आते हैं, जिन में से कई तो जानलेवा भी होते हैं.

अगर आप को एक चीज से एलर्जी है तो जरूरी नहीं है कि किसी अन्य को भी उसी चीज से एलर्जी हो. एलर्जी के कई कारक हैं. एलर्जी से पीड़ित व्यक्ति को अपने अनुभव के आधार पर यह खोजने की कोशिश करनी चाहिए कि उसे किस विशेष वस्तु का उपयोग करने से एलर्जी होती है.

जानवरों से एलर्जी

जानवरों की लार, मृत त्वचा, फर और यूरिन में जो प्रोटीन होता है वह एलर्जन कहलाता है. उस से कई लोगों में एलर्जिक रिऐक्शन या अस्थमा की समस्या बढ़ जाती है. इस के अलावा जानवरों के फर में पराग, धूल के कण और दूसरे एलर्जन भी भर जाते हैं, जिस से एलर्जी और गंभीररूप धारण कर लेती है.

एलर्जी से पीडि़त कुल लोगों में से 15-30 प्रतिशत लोगों को बिल्ली और कुत्ते जैसे पालतू जानवरों से एलर्जी होती है. अगर आप के घर में पालतू जानवर है और उसे कभी अपने पास भी नहीं आने देते, तब भी आप को एलर्जी हो सकती है.

आधुनिक शोधों से पता चला है कि जब जानवर खुद को चाटते हैं तो लार में मौजूद प्रोटीन भी फर से चिपक जाता है. और जब यह सूख जाता है तो हवा में उड़ता है. जानवरों से निकलने वाले एलर्जन कारपेट, कालीन और फर्नीचर में इकट्ठा हो जाते हैं और वहां वे 4 से 6 सप्ताह तक सक्रिय अवस्था में रहते हैं. इस के अलावा, ये एलर्जन पालतू जानवर को घर से निकालने के बाद भी कई महीनों तक हवा में मौजूद रहते हैं.

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