हम अपनी भाभी के साथ उन की सहेली के घर गए थे. बड़ी आत्मीयता से मिलने के साथ उन्होंने हमें कुछ जलपान परोसा मगर हम ने यह कह कर कि मुंह में छाले हैं, कुछ भी खाने से इनकार कर दिया. वे बोलीं, ‘‘कब से हैं ये छाले? जरा रुकिए,’’ कह कर वे घर के पिछवाड़े चली गईं और कुछ ही पलों में कुछ पत्ते हाथ में लिए आईं. हम ने देखा पत्ते एकदम साफ और हरे थे.

वे बोलीं, ‘‘नैना, ये तुम्हारे छालों के लिए हैं. ये चमेली के पत्ते हैं. इन्हें चबा लो, तुम्हारे छाले ठीक हो जाएंगे. भई, मैं ने तो अपने घर के पिछले हिस्से में बहुत से ऐसे हर्बल प्लांट्स लगा रखे हैं.’’

मैं ने भाभी से कहा, ‘‘इन के पास हर्बल गार्डन भी है?’’

वे बोलीं, ‘‘गार्डन तो नहीं. मैं ने घर के पिछले हिस्से में किचन गार्डन जरूर बना रखा है. बस, उसी में कुछ सब्जियों के पौधों के साथ कुछ हर्बल पौधे लगाए हैं ताकि सागसब्जियां मिलती रहें और बच्चों वाले घर में कभी कुछ कट गया, चोट लग गई, कभी जल गया तो ऐसी मुसीबतों से निबटने के लिए कुछ औषधीय पेड़पौधे उपलब्ध रहें.’’

मैं ने पूछा, ‘‘क्या हम भी ऐसा किचन गार्डन बना सकते हैं?’’

‘‘क्यों नहीं,’’ वे बोलीं, ‘‘इसे बनाना बहुत आसान है और ऐसे गार्डन से बाजार के मुकाबले सस्ती, सुलभ, स्वादिष्ठ और पौष्टिक सब्जियां आप पा सकते हैं. बस, शुरुआत छोटे पैमाने पर ही करें. उत्साहित हो कर बड़े पैमाने पर न करें कि संभाल ही न सकें. सब से पहले यह देखना जरूरी है कि परिवार में लोग कितने हैं, खपत कितनी है, उसी के अनुसार जमीन देखें. हां, यह देखना जरूरी है कि धूप कितनी देर आती है. कम से कम 6-8 घंटे धूप आनी चाहिए. जहां गार्डन लगाएं वहां पानी का नल अवश्य हो ताकि पेड़ों को समुचित पानी दिया जा सके. जमीन का चुनाव करते वक्त यह अवश्य परख लें कि जमीन कीट या दीमकयुक्त तो नहीं है.

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