दवाओं की कीमतें तय करने वाली संस्था नैशनल फार्मास्युटिकल प्राइमिंग अथौरिटी यानी एनपीपीए ने हार्ट में डाले जाने वाले स्टेंट की कीमतों में कमी करते हुए इसे निर्धारित कर दिया है. इस से दिल के मरीजों के लिए अधिक राहत मिली है. पहले जो स्टेंट 70 हजार से ढाई लाख रुपए तक में डाला जाता था अब उस की कीमत तकरीबन 30 हजार रुपए तय कर दी गई है. इस के अलावा मैटल स्टेंट की कीमत 7,260 रुपए तय की गई है.

क्या होता है स्टेंट

दिल की मांसपेशियां धमनियों के तंत्र से पोषण प्राप्त करती हैं जिन्हें कोरोनरी धमनियां कहा जाता है. इन में किसी भी किस्म की बाधा आने पर दिल की मांसपेशियों के काम करने में रुकावट आ जाती है जिस से दिल में दर्द, दिल का दौरा या अकस्मात कार्डियक मौत हो सकती है. दिल के दर्द या एंजाइना के समय मांसपेशियों को उचित पोषण नहीं मिलता जिस वजह से दिल पर काफी दबाव पड़ जाता है.

दिल के दौरे में मांसपेशियों का एक हिस्सा औक्सीजन न मिल पाने की वजह से मृत हो जाता है. तंतुओं के मृत होने की यह प्रक्रिया बहुत तेजी से चलती है जिस से मृत तंतुओं का एक पूरा हिस्सा जमा हो जाता है, वहां पर मांसपेशियों के सिकुड़ने की क्षमता चली जाती है जो नुकसानदायक है.

इंडियन मैडिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष व कार्डियोलौजिस्ट डा. के के अग्रवाल ने बताया कि इस प्रक्रिया को ध्यान में रखते हुए गंभीर ब्लौकेज को कम करने के लिए स्टेंटिंग प्रक्रिया को व्यस्त सड़क से ट्रैफिक कम करने की प्रक्रिया के रूप में देखा जा सकता है. जीवनशैली में रोकथाम वाले बदलाव और दवाओं के साथ इलाज को ट्रैफिक इंस्पैक्टर माना जा सकता है. इस तरह एंजियोग्राफी को वह आर्किटैक्ट कहा जा सकता है जो नक्शा बना कर यह तय करता है कि क्या सड़क रेलिंग (स्टेंट) के साथ चौड़ी की जा सकती है या इस के बिना.

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