असिस्टेड रिप्रोडक्टिव टैक्नोलौजी यानी एआरटी अथवा हिंदी में कहें तो ‘प्रजनन में सहयोग की तकनीक’ ने पिछले कुछ सालों में क्रांतिकारी विकास किया है, खासतौर से भारत में. अब हर जोड़ा अपना एक आदर्श परिवार बना सकता है, अपने बच्चे को जन्म दे सकता है, चाहे उसे कोई स्वास्थ्य संबंधी समस्या हो अथवा किसी कारणवश शादी में देरी हो रही हो. यह सब संभव हो सका है विभिन्न तकनीकों की मदद से. ये ऐसी तकनीकें हैं जिन की पहले कल्पना भी नहीं की जा सकती थी.

ऐसी ही एक तकनीक शहरी महिलाओं में काफी लोकप्रिय हो रही है और उसे अपनाने के लिए महिलाएं खुल कर आगे आ रही हैं. यह तकनीक है ओसाइट क्रायोप्रिजर्वेशन, जिसे आम बोलचाल की भाषा में एग फ्रीजिंग कहते हैं, यानी अंडाणुओं को फ्रीज करना. अब वह समय नहीं रहा जब महिलाएं 30 साल की उम्र तक पहुंचतेपहुंचते न सिर्फ शादीशुदा हो जाती थीं बल्कि मां भी बन जाती थीं. आजकल की महिलाएं अपने कैरियर को अधिक महत्त्व देने लगी हैं. स्वतंत्र हैं और नए अनुभवों के साथ विकास के नए माने तलाश रही हैं, जैसाकि पहले नहीं होता था. पहले अधिकतर महिलाओं के जीवन का पहला लक्ष्य होता था 30 साल की उम्र से पहले शादी कर लेना और मां बनना.महिलाओं के शरीर की बनावट प्राकृतिक रूप से ऐसी है कि उन के शरीर में 30 साल की उम्र तक सब से बेहतरीन क्वालिटी के अंडाणुओं का उत्पादन होता है. इस के बाद धीरेधीरे इस की क्वालिटी में गिरावट आने लगती है, खासतौर से 35 की उम्र के बाद. ऐसे में ओसाइट क्रायोप्रिजर्वेशन, जिस के तहत अंडाणुओं को निकाल कर उन्हें फ्रीज किया जाता है और बाद के इस्तेमाल के लिए उन्हें स्टोर कर लिया जाता है, के जरिए महिलाओं को भविष्य में अपनी सुविधा के हिसाब से बच्चे पैदा करने की स्वतंत्रता मिल गई है.

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