आशू बहुत साधारण फैमिली से था. वह हर काम अपने पेरैंट्स की मरजी से करता था. उस के पेरैंट्स अपने इस आज्ञाकारी बच्चे को बहुत पसंद करते थे, लेकिन उस की ऐसी गुडविल स्कूली दिनों तक ही कायम रही, क्योंकि कालेज में जाते ही उस की रंगत बदल गई. वह अब अपने दोस्तों से ज्यादा प्रभावित होने लगा. कालेज में जब भी वह अपने दोस्तों को स्मोकिंग करते देखता तो उसे लगता कि काश, मैं भी ऐसा कर पाता. कुछ समय तक तो उस ने खुद को इस आदत से दूर रखा, लेकिन जब उस के दोस्तों ने उसे कहा कि यार तू भी एक बार स्मोकिंग कर के तो देख, कितना मजा आता है. तेरी अलग ही धाक होगी. लड़कियां भी आजकल ऐसे ही लड़कों को पसंद करती हैं जो मौडर्न हों न कि तेरे जैसे दब्बू. यह बात सुनते ही उसे लगा कि मेरे फ्रैंड्स बात तो सही कह रहे हैं और उस में उन की बातों से मानो ऐसा जोश आया कि उस ने स्मोकिंग में अपने दोस्तों का रेकौर्ड तोड़ दिया.

इस परिवर्तन से भले ही वह अपने फ्रैंड सर्कल में छा गया, लेकिन उस की इस आदत से उस के परिवार वाले तंग आ गए, क्योंकि इस से न सिर्फ पैसा बरबाद होता बल्कि स्वास्थ्य पर भी बुरा प्रभाव पड़ता, जो आशू पहले हट्टाकट्टा था अब बिलकुल पतला हो गया. पेरैंट्स ने उसे कई बार प्यार से समझाने की कोशिश की लेकिन उस पर कोई असर न हुआ. अपनी मनमरजी व दोस्तों से प्रभावित होने का नतीजा यह निकला कि वह मुंह के कैंसर का शिकार हो गया, जिस के कारण वह कुछ भी खा नहीं पाता था और जब उसे अपनी गलती का एहसास हुआ तब तक बहुत देर हो चुकी थी. सिर्फ आशू ही नहीं बल्कि आशू जैसे सैकड़ों किशोर हैं जो इस आदत का शिकार हैं और इस कारण असमय मृत्यु का शिकार भी हो रहे हैं.

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