जापान में एक  अनोखी परंपरा है. यहां के लोग जब भी मिट्टी के टूटे बरतनों की मरम्मत करते हैं तो इन में थोड़ा सोना रख देते हैं. इस के पीछे मान्यता है कि पुरानी चीजों का अपना ऐतिहासिक महत्त्व होता है और भले ही इन में कुछ क्षति नजर आए, उन की एक अलग खूबसूरती होती है. जापान की इस कला ‘किंतसुगी’ से हम बहुत कुछ सीख सकते हैं.

फिटनेस और ब्यूटी एक्सपर्ट ( VLCC की फाउंडर ) वंदना लूथरा कहती हैं कि सब से महत्त्वपूर्ण है, बढ़ती उम्र यानि एजिंग को ले कर हमारा नजरिया सकारात्मक होना चाहिए. हमें कभी यह नहीं सोचना चाहिए कि उम्र बढ़ना या प्रौढ़ होना एक समस्या है. यह तो नए सिरे से जिंदगी की शुरुआत है. दोबारा तनमन को संवारने की उम्र है. आमतौर पर 40-50 की उम्र तक हम जीवन के अधिकांश लक्ष्यों को पूरा कर चुके होते हैं. हमारे बच्चे बड़े हो चुके होते  हैं. जाहिर है, इस उम्र में हमें अपने लिए अधिक वक्त मिल पाता है.

अफसोस की बात यह है कि हम चाहे जितने भी आजाद खयाल के हों, इस उम्र में आ कर लोग खासकर महिलाएं यह सोचने लगते हैं कि अब उन की कोई अहमियत नहीं रही.

‘प्यू रिसर्च सेंटर’ के अनुसार अधिक उम्र के लोगों की बढ़ती आबादी जापान, द. कोरिया जर्मनी और स्पेन के लिए बड़ी सरदर्दी बन गई है.

इस के विपरीत कुछ ऐसे लोग भी हैं, जिन्होंने 50-60 के बाद अपनी उम्र की नई पारी खेली. मारुति से रिटायर होने के बाद 67 साल के जगदीश खट्टर ने यह निर्णय लिया कि वे गोल्फ खेल कर समय नहीं काटेंगे और उन्होंने खुद का कारोबार ‘कारनेशन औटो’, शुरू कर दिया. रेणुका रामनाथन ने आईसीआईसीआई वेंचर्स से रिटायरमेंट ले कर ‘मल्टीपल अल्टरनेट ऐसेट मैनजर्स’ की शुरुआत की. यह एक प्राइवेट एसेट मैनेजमेंट फर्म है. स्व. कैप्टन सीपी कृष्णनन नायर ने जब ‘लीला ग्रुप औफ होटल्स’ की शुरुआत की तो उन की उम्र 65 साल थी इसी इसी तरह डा. प्रताप सी रेड्डी ने 50 की उम्र में ‘अपोलो हौस्पीटल्स’ की शुरुआत की. इंडियन स्कूल औफ बिजनेस, हैदराबाद में सीनियर एक्जक्यूटिव के लिए मैनेजमैंट में पहले पोस्ट ग्रैजुएट प्रोग्राम का सब से अधिक उम्र का विद्यार्थी 55 साल का था.

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