हौकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद के जन्मदिवस के मौके पर हौकी प्रेमियों के लिए अच्छी खबर आई. 36 वर्ष के लंबे अंतराल के बाद भारतीय महिला हौकी टीम को अगस्त 2016 में होने वाले ब्राजील के रियो ओलिंपिक में जगह मिल गई. महिला हौकी टीम को ओलिंपिक के लिए क्वालिफाई करने के लिए यूरो चैंपियनशिप के फाइनल में पहुंचने वाली टीमों के नाम का इंतजार था. ऐसा इसलिए क्योंकि भारत को ओलिंपिक का टिकट तभी मिलता जब यूरो हौकी चैंपियनशिप के फाइनल में पहुंचने वाली दोनों टीमें पहले ही ओलिंपिक के लिए क्वालिफाई कर चुकी हों, और ऐसा ही हुआ. भारतीय महिला टीम दूसरी बार ओलिंपिक खेलों में हौकी खेलने जाएगी. इस से पहले भारतीय महिला हौकी टीम को वर्ष 1980 मास्को ओलिंपिक में खेलने का अवसर प्राप्त हुआ था. तब भारतीय टीम चौथे स्थान पर रही थी.

अब हालात काफी बदल चुके हैं. अब हमारे देश में क्रिकेट को तवज्जुह दी जाती है. जबकि उस समय हौकी का दौर था. तब खिलाड़ी देश के लिए खेलते थे लेकिन आज के खिलाडि़यों को टीम में आने के लिए संघर्ष करना पड़ता है, चाटुकारिता करनी पड़ती है, आकाओं की बात सुननी पड़ती है, गलत होते हुए भी चुप रहना पड़ता है. रियो ओलिंपिक में भारतीय टीम के अलावा इंगलैंड, जरमनी, चीन, न्यूजीलैंड, नीदरलैंड, अर्जेंटीना, आस्ट्रेलिया, कोरिया और अमेरिका की महिला टीमें होंगी. इस में 2 टीमों का चयन अभी होना बाकी है. 36 साल बाद यह पहला मौका होगा जब भारत की महिला एवं पुरुष टीमें ओलिंपिक में हिस्सा लेंगी. मौजूदा भारतीय महिला हौकी टीम अभी उतनी तगड़ी नहीं है लेकिन अभी 1 साल का वक्त है, भारतीय टीम को कड़ी मेहनत करनी होगी. 48 भारतीय महिला खिलाड़ी पूरे दमखम के साथ अभ्यास में जुटी हुई हैं. इन में से ओलिंपिक के लिए 33 खिलाडि़यों का चयन होना है. जरूरत है फाइनल के लिए सभी जरूरी सुविधाएं, साजोसामान और व्यवस्थागत इंतजाम की कमी न रहे. मजबूत डिफैंस और पैनल्टी कौर्नर को मजबूत बनाना होगा. उम्मीद है कि ऋतु रानी की अगुआई में भारतीय महिला टीम इतिहास रचने में कामयाब हो. सालों बाद मिले इस मौके को गंवाने का मतलब है फिर से उसी जगह पर आ जाना जहां से हौकी टीम ने संघर्ष शुरू किया था.

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