इंदौर टेस्ट मैच में भारत ने न्यूजीलैंड को 321 रनों से मात दे कर 3 टेस्ट मैचों की सीरीज में क्लीनस्वीप कर लिया. विराट कोहली की कप्तानी में भारत ने घरेलू धरती पर ऐसा कारनामा पहली बार किया है. भारतीय क्रिकेट और भारतीय खिलाडि़यों के साथसाथ प्रशंसकों के लिए भी यह खुशी की बात है.

क्रिकेट का कलात्मक सौंदर्य वाकई टेस्ट मैचों में ही देखने को मिलता है. लेकिन फटाफट क्रिकेट यानी आईपीएल मैचों की बढ़ती लोकप्रियता से टेस्ट मैचों का भविष्य खतरे में है. दर्शक भी फटाफट क्रिकेट में ज्यादा रुचि लेते हैं. 20-20 मैचों के टिकट फटाफट बिक जाते हैं जबकि टेस्ट मैचों के दौरान स्टेडियम खाली रहते हैं.

पहले एक टेस्ट मैच पूरे 5 दिन चलता था लेकिन अब शायद ही कोई मैच 5 दिन तक चलता है. ज्यादातर मैच 3 दिन में ही समाप्त हो जाते हैं. खिलाडि़यों में न तो अब धैर्य दिखता है और न ही 5 दिन तक खेलने का जज्बा. खिलाड़ी भी अब चाहते हैं कि सबकुछ फटाफट हो. जबकि टेस्ट मैचों में खिलाडि़यों के खेलने की क्षमता का पता चलता है. बल्लेबाजों को अपनी खेलप्रतिभा दिखाने का मौका मिलता है कि वे कितनी देर तक क्रीज पर डटे रह सकते हैं. ठीक इसी तरह गेंदबाजों को भी यह दिखाने का मौका मिलता है कि उन की गेंदबाजी में कितनी धार है.

मगर समय के साथ खिलाड़ी भी बदल गए हैं. टेस्ट मैच को भी वे फटाफट क्रिकेट की तरह खेलना चाहते हैं और चाहते हैं कि तेजी से रन बनाएं. शायद यही वजह है कि अब टेस्ट मैच में 1 दिन में 300 से अधिक रन भी बन जाते हैं. इस से नतीजा जल्दी ही निकल आता है और टेस्ट मैच 3 या 4 दिन में ही समाप्त हो जाता है. आईपीएल धीरे धीरे टेस्ट मैच को खा रहा है. यदि इस पर खेल पदाधिकारी ध्यान नहीं देंगे तो आनेवाले समय में टेस्ट मैच का अस्तित्व समाप्त भी हो सकता है.

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