भारतीय हैदराबाद की रहने वाली 28 वर्षीय सानिया मिर्जा और स्विट्जरलैंड की 34 वर्षीय मार्टिना हिंगिस की जोड़ी ने विंबलडन में रूस की येकातेरिना मकारोवा और एलेना वेजिन्ना को हरा कर महिलाओं का डबल्स खिताब जीत लिया. अमेरिका की 33 वर्षीय विश्व की नंबर एक टैनिस स्टार सेरेना विलियम्स ने साल के तीसरे ग्रैंड स्लैम टूर्नामैंट विंबलडन में वीमंस सिंगल्स का खिताब जीत कर साबित कर दिया कि अगर हौसला और आत्मविश्वास बुलंद हो तो उम्र माने नहीं रखती. सेरेना का मानना था कि अब उन्हें मुकाबलों में तनाव नहीं होता. नए खिलाडि़यों को सेरेना से सीख लेनी चाहिए.

विंबलडन का महिला युगल खिताब जीतने वाली पहली भारतीय बनने के बाद उत्साह से लबरेज सानिया मिर्जा ने कहा, ‘‘मैं उम्मीद करती हूं इस से अन्य भारतीय लड़कियां जीतने के लिए प्रेरित होंगी.’’ हालांकि सवाल उठता है कि सानिया के बाद कौन? डबल्स में तो किसी भारतीय महिला खिलाड़ी का नामोनिशान तक नहीं है. एकल मुकाबले में भी इक्कादुक्का ही हैं. एकल मुकाबले में अंकिता रैना का नाम जरूर है पर उन की रैंकिंग 228 है. उस के बाद नताशा पल्हा हैं जिन की रैंकिंग 546वें नंबर पर है. ऐसे और भी नाम हैं पर उन के लिए अभी दिल्ली दूर है. टैनिस खेलना आसान नहीं है. यह काफी महंगा खेल माना जाता है और अगर कोई कंपनी खिलाडि़यों को स्पौंसर न करे तो शायद ही खिलाड़ी के मातापिता टैनिस के खर्च को वहन कर सकें. मध्यवर्गीय मातापिता तो सोच भी नहीं सकते. हां, अपवाद को छोड़ कर. शहरों में ट्रेनिंग की सुविधा तो है पर बहुत ही महंगी है. कसबों या छोटे शहरों की बात करें तो वहां टैनिस से दूरदूर तक नाता नजर नहीं आता. ऐसे में दूसरी सानिया को ढूंढ़ना दुष्कर कार्य जरूर है पर नामुमकिन नहीं.

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