3 वर्ष की अल्पायु में ही क्रिकेट का बल्ला थामने वाले ईशान की क्रिकेट के प्रति दीवानगी उम्र के साथसाथ बढ़ती गई और अपनी मेहनत व लगन के बल पर उस ने न केवल अंडर-19 क्रिकेट टीम में जगह बनाई बल्कि कप्तान बन बैठा. अब ईशान का लक्ष्य नैशनल टीम में शामिल होना है. उस के मातापिता को पूरा यकीन था कि उन का लाड़ला अवश्य एक दिन उन का नाम रोशन करेगा. हर मातापिता की तरह ईशान के पेरैंट्स भी चाहते थे कि उन का बेटा पहले पढ़ाई पूरी करे, उस के बाद ही अपने खेल के शौक को पूरा करे, लेकिन उस के साथ ऐसा नहीं हो सका. पढ़ाई से ज्यादा ईशान को क्रिकेट से लगाव था और क्रिकेट को ही वह जिंदगी का लक्ष्य मान चुका था. बचपन से ही प्लास्टिक के छोटे से बैट से उस की ऐसी यारी हुई कि बस उस के साथ ही सोना और जागना होता था. ईशान की दीवानगी आखिर रंग लाई और आज वह भारतीय क्रिकेट की अंडर-19 टीम का कप्तान बन गया. क्रिकेट का दीवाना ईशान किशन कहता है कि नैशनल क्रिकेट टीम में शामिल होना उस का लक्ष्य है.

18 जुलाई, 1998 को पटना में जन्मे किशन का बचपन से ही क्रिकेट से लगाव था. अपने बड़े भाई राज किशन को क्रिकेट खेलते देख ईशान में भी क्रिकेट का शौक पैदा हुआ और उस ने बल्ला थाम लिया. बड़े भाई राज ने क्रिकेट के प्रति ईशान की दीवानगी देख उसे क्रिकेट के गुर सिखाने शुरू कर दिए. ईशान मानता है कि उस के बडे़ भाई ने उस की खातिर अपने क्रिकेट के शौक को कुरबान कर दिया. 2008 में ईशान ने पहली बार छत्तीसगढ़ के खिलाफ बिहार की ओर से मैच खेला. उस के बाद वर्ष 2012 में झारखंड की अंडर-16 क्रिकेट टीम में उसे शामिल किया गया. 17 दिसंबर, 2014 को ईशान ने रणजी ट्रौफी ग्रुप सी में प्रथम श्रेणी के क्रिकेट से अपने कैरियर की धमाकेदार शुरुआत की. झारखंड और असम के बीच खेले गए मैच में ईशान ने 60 रन बना कर क्रिकेट के महारथियों को अपनी ओर आकृष्ट किया.

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