रियो में चल रहे पैरालंपिक खेलों में भारत ने इतिहास रचा है. हाई जंप इवेंट में भारत ने गोल्ड और ब्रॉन्ज पदक पर कब्जा जमाया है. तमिलनाडु के मरियप्पन थांगावेलू और उत्तरप्रदेश के वरूण भाटी ने रियो पैरालंपिक खेलों में गोल्ड और ब्रॉन्ज पदक जीतकर भारत का नाम रोशन किया.
मरियप्पन थांगावेलू ने 1.89 मी. की जंप लगाते हुए सोना जीता. ऊंची कूद में मरियप्पन थांगावेलू ने गोल्ड पर कब्जा जमाते हुए इतिहास रच दिया है तो वहीं. जबकि भाटी ने 1.86 मी. की जंप लगाते हुए कांस्य पदक अपने नाम किया. वह मुरलीकांत पेटकर (स्वीमिंग 1972 हेजवर्ग) और देवेंद्र झाझरिया (भाला फेंक, एथेंस 2004 ) के बाद गोल्ड जीतने वाले तीसरे भारतीय हैं.
दोनों भारतीय खिलाडि़यों ने रियो पैरालंपिक में गोल्ड और कांस्य पदक जीतकर करोड़ों हिंदुस्तानियों को झूमने का मौका दे दिया है. जबकि रजत पदक अमेरिका के सैम ग्रेवी को मिला. उधर, भारत के ही संदीप भाला फेंक कांस्य जीतने से चूक गए और वह चौथे स्थान पर रहे.
थांगावेलू और भाटी की इस सफलता के बाद अभी तक के सभी पैरालंपिक खेलों में भारत के कुल पदकों की संख्या 10 हो गई है जिसमें 3 स्वर्ण, तीन रजत और चार कांस्य शामिल है.
मरियप्पन और भाटी की दर्द भरी कहानी
हाई जम्प टी-42 वर्ग में पदक जीतने वाले इन एथलीट्स का सफर बहुत कष्टदायक रहा है.
20 वर्षीय मरियप्पन तमिलनाडु के सालेम से 50 किलोमीटर दूर स्थित गांव पेरियावदगम्पति के रहने वाले हैं. वे जब 5 वर्ष के थे और स्कूल जा रहे थे तब गलत ढंग से मुड़ी बस ने उन्हें कुचल दिया था. यह बस उनके दाएं पैर पर से गुजरी थी जिससे उनका पैर घुटने के नीचे पूरी तरह खराब हो गया था.