भारतरत्न के हकदार 
हौकी के पुरोधा कहे जाने वाले मेजर ध्यानचंद को देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारतरत्न’ दिलाने के लिए एक तरफ जहां भारतीय टीम के खिलाडि़यों ने दिल्ली की सड़कों पर मार्च किया, वहीं दूसरी तरफ एक पांच सितारा होटल में वर्तमान हौकी के पदाधिकारी और हौकी टीम के कप्तान सरदार सिंह समेत कुछ खिलाड़ी वर्ल्ड हौकी लीग की ट्रौफी के अनावरण समारोह में व्यस्त थे.
वर्षों से ध्यानचंद को भारतरत्न देने की मांग हो रही है पर भारत सरकार हर बार इसे टाल देती है. इस बार तो लग रहा था कि ध्यानचंद को यह रत्न मिल जाएगा लेकिन क्रिकेट के बेताज बादशाह सचिन तेंदुलकर को भारत रत्न रिटायरमैंट के तोहफे के रूप में दे दिया गया.
सब की नाराजगी इस बात को ले कर थी कि सचिन को पुरस्कार देने के लिए अभी जल्दबाजी करने की क्या जरूरत थी जबकि उस खिलाड़ी को नजरअंदाज कर दिया गया, जिस ने हमारे राष्ट्रीय खेल हौकी को सुनहरे दौर से रूबरू करवाया था.
सचिन को भारतरत्न दिए जाने पर भारतीय टीम के पूर्व कप्तान धनराज पिल्लै ने भी खुशी जाहिर की थी पर उन्होंने यह भी कहा था कि सरकार ने किसी खिलाड़ी को भारतरत्न देने का फैसला 20 साल पहले लिया होता तो हौकी को बुलंदियों तक पहुंचाने वाले मेजर ध्यानचंद को भी यह रत्न मिल जाता जिस के वे हकदार थे. धनराज पिल्लै के अलावा महान ट्रैक व फील्ड धावक मिल्खा सिंह ने भी कहा था कि ध्यानचंद किसी अन्य से पहले भारतरत्न के हकदार थे. 
कई और खेलों से जुड़े खिलाड़ी भी ध्यानचंद को भारतरत्न दिए जाने के पक्ष में हैं. वहीं अगर बात हौकी के ही पूर्व खिलाडि़यों की करें तो उन के मुताबिक ध्यानचंद को इस सम्मान से वंचित रखना उस महान खिलाड़ी का अपमान है जिस ने देश को गुलामी के दौर में खेल के क्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय पहचान दिलाई थी. ध्यानचंद  वर्ष 1928 में एम्सटर्डम, वर्ष 1932 में लास एंजिल्स और वर्ष 1936 में बर्लिन ओलिंपिक में स्वर्ण पदक जीतने वाली हौकी टीमों का हिस्सा रहे थे.
 
टी-20 के बाद अब 7 पीएल
एक समय था जब टैस्ट क्रिकेट खेलने  के लिए खिलाड़ी बेताब रहते थे. उस के बाद एकदिवसीय मैच आया तो उस ने खिलाडि़यों और खेलप्रेमियों को रोमांचित कर दिया लेकिन तब भी टैस्ट क्रिकेट
का क्रेज कम नहीं हुआ. लेकिन टी-20 क्रिकेट ने जब पूरी दुनिया में धूम मचाई तो पूरा क्रिकेट का फौर्मेट ही बदल गया. टैस्ट क्रिकेट के भविष्य को ले कर बहस छिड़ गई. लेकिन लगता है अब टैस्ट क्रिकेट को बचाने की गुहार के दिन लद गए क्योंकि अब टी-20 के बाद ‘7 पीएल’ की शुरुआत होने वाली है. ‘7 पीएल’ में 7-7 खिलाडि़यों की टीम होगी. दुबई में धमाकेदार आयोजन से इस की शुरुआत होगी जिस में यूनाइटेड अरब अमीरात की कुल 7 टीमें भी हिस्सा लेंगी.
भले ही अभी इस लीग के लिए आईसीसी ने इसे विधिवत रूप से मान्यता नहीं दी है पर माना जा रहा है कि भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड यानी बीसीसीआई और आईसीसी का पूरा समर्थन इस लीग को मिला हुआ है. कहा यह जा रहा है कि इस लीग में भारत, पाकिस्तान, दक्षिण अफ्रीका, इंगलैंड, आस्ट्रेलिया और श्रीलंका जैसे देशों के खिलाड़ी खेलेंगे. जिस तरह कारोबारियों के लिए आईपीएल दुधारू गाय साबित हुआ, ठीक उसी तरह इस लीग में भी खूब पैसा बरसेगा और खिलाडि़यों की खरीदफरोख्त होगी. अब तो खेल को खेल की तरह देखना भी बेमानी होगा. वैसे भी आईपीएल आने के बाद खेल रहा कहां, वह तो पैसे के लिए खेला जाने लगा. बड़ेबड़े नेता, अभिनेता, कारोबारी खिलाडि़यों को खरीद कर अपने हिसाब से उन्हें खिलाने लगे और खिलाडि़यों को पैसा कमाने की मशीन समझने लगे. खिलाड़ी भी खुशीखुशी बिकने लगे और खेल को पैसा कमाने का माध्यम समझने लगे. बहरहाल, खेलप्रेमी अब इसे खेल भावना से न देखें क्योंकि 7 देश, 7 टीम, 7 ओवर और 7 खिलाडि़यों से आप क्या उम्मीद करेंगे. मजा तो जरूर आएगा पर खेल का नहीं.
 
बोल्ट के ट्रैक पर अमिय
पिछले वर्ष झारखंड की राजधानी रांची में आयोजित नैशनल ओपन ऐथलैटिक्स चैंपियनशिप में 200 मीटर की रेस में ओडिशा के अमिय कुमार ने गोल्ड मैडल जीता था. अब अमिय का सपना साकार होने जा रहा है क्योंकि उन्हें 4 महीने की प्रैक्टिस के लिए जमैका की राजधानी किंग्सटन जाने का मौका मिला है.
अमिय रेसर्स ट्रैक क्लब में प्रैक्टिस करेंगे. गौरतलब है कि सुपर स्टार धावक उसैन बोल्ट यहीं प्रैक्टिस करते हैं. कई ऐथलीटों को ट्रेंड करने वाले ग्लेन मिल्स ने जब अमिय को बुलावा भेजा तो उन के पास सब से बड़ी समस्या थी फंड की. किंग्सटन जाने और ट्रेनिंग लेने के लिए भारीभरकम रकम की जरूरत पड़ती है, इसलिए अमिय के लिए यह मुमकिन नहीं था पर ओडिशा सरकार और  टाटा स्टील्स ने अमिय के सपने को साकार करने का बीड़ा उठाया है.
फिलहाल अमिय का उत्साहित होना लाजिमी है और उन का इरादा एशिया गेम और कौमनवैल्थ गेम में गोल्ड मैडल जीतने का है. दरअसल, सरकार और प्रबंधन यदि खेल और खिलाडि़यों को ट्रेंड करने के लिए विदेशों जैसी सुविधा अपने ही देश में मुहैया कराएं तो शायद ऐसे सैकड़ों अमिय जैसे धावक देश का नाम रोशन करने में अहम भूमिका अदा कर सकते हैं.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...