टेस्ट क्रिकेट को बल्लेबाज की असल अग्निपरीक्षा माना जाता है. कारण साफ है, क्योंकि क्रिकेट के इस प्रारूप में बल्लेबाज के धैर्य और गेंद को उसकी गुणवत्ता के आधार पर खेलने के लिए जाना जाता है. ऐसी परिस्थिति में जो बल्लेबाज अपने आपको सर्वश्रेष्ठ साबित करता है वही बेहतरीन बन जाता है. क्रिकेट में अगर कोई बल्लेबाज बोल्ड हो जाए तो उसे सबसे खराब आउट माना जाता है. कई बल्लेबाज अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में हुए, जिनकी तकनीक इतनी अच्छी थी कि उन्हें आउट करना गेंदबाजों के लिए बड़ा मुश्किल होता था. आज हम आपको उन पांच बल्लेबाजों के बारे में बताने जा रहे हैं जो अपने करियर में बहुत कम मौकों पर बोल्ड हुए.

1. दिलीप वेंगसरकर

दाहिने हाथ के बेहतरीन भारतीय बल्लेबाज दिलीप वेंगसरकर ने साल 1976 से 1992 तक टेस्ट क्रिकेट खेली. इस दौरान उन्होंने 116 मैच खेलते हुए 185 पारियों में बल्लेबाजी की. टेस्ट मैच में 42.13 की औसत से 6,868 रन बनाने वाले वेंगसरकर के नाम टेस्ट मैचों में सबसे कम बोल्ड होने का रिकॉर्ड है. 185 पारियों में वेंगसरकर 163 बार आउट हुए जिनमें 16 बार वह बोल्ड हुए हैं. वह टेस्ट मैचों में सबसे कम बार बोल्ड होने वाले बल्लेबाज हैं. वेंगसरकर कुल 22 बार टेस्ट में नॉट आउट रहे हैं. 17 शतक जमाने वाले वेंगसरकर के नाम 35 अर्धशतक भी हैं.

2. इयान हिली

ऑस्ट्रेलिया के बेहतरीन विकेटकीपर बल्लेबाजों में से एक इयान हिली 1988 से 1999 तक टेस्ट क्रिकेट खेले. इस दौरान उन्होंने कुल 119 टेस्ट मैच खेले. भले ही टेस्ट मैचों में हिली ने 27.39 की औसत के साथ 4,356 रन बनाए हों लेकिन बोल्ड वह बहुत कम ही होते थे. 182 पारियो में बल्लेबाजी करने वाले हिली टेस्ट करियर में कुल 159 बार आउट हुए हैं और उसमें वह 16 बार बोल्ड आउट हुए हैं. उनके नाम टेस्ट में कुल 4 शतक हैं. साथ ही उन्होंने विकटों के पीछे 366 कैच और 29 स्टंपिंग की. हिली कुल 23 बार नॉट आउट रहे. हिली का वनडे में स्ट्राइक रेट 83 से ऊपर का है लेकिन छक्के जड़ने में उनका हाथ बहुत तंग था और 168 वनडे मैच खेलकर वह कुल 5 छक्के लगा पाए. साथ ही टेस्ट क्रिकेट में भी उनके नाम 5 छक्के ही हैं.

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