कई बैंकों का कहना होता है कि लॉकर में रखे गए सामान कि जिम्मेदारी ग्राहक पर होगी. ऐसे में सवाल यह है कि अगर बैंक लॉकर में रखे गए सामान की जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं है तो लॉकर लेने का कोई फायदा है क्या? लॉकर के लिए 1000 रुपये से 8000 रुपये तक की सालाना फीस देनी पड़ती है. बिना सुरक्षा के यह फीस क्यों दी जाए? यहां पर आप जानेंगे कि लॉकर में और घर में कीमती सामान रखना कितना सुरक्षित है.
लॉकर है एक बेहतर विकल्प
कीमती सामान जैसे कि गोल्ड और डॉयमेंड की ज्वेलरी घर में रखना समझदारी नहीं है. खासतौर पर उन लोगों के लिए जिनके पास कीमती चीजों की मात्रा थोड़ा ज्यादा हो. भले बैंक कह रहे हैं कि रखे गए सामान की जिम्मेदारी उनकी नहीं है लेकिन वे सुरक्षा के सारे उपाय करते हैं. बैंकों के मजबूत कमरों में लॉकर रखे जाते हैं. यहां पर किसी को जाने की इजाजत नहीं होती. इसमें आने-जाने वालों पर कड़ी नजर रखी जाती है. सिक्योरिटी गार्डस तैनात किए जाते हैं. साथ ही हाई लेवल का इलेक्ट्रॉनिक सर्विलेंस होता है. इसलिए घर में रखे सेफ की तुलना में बैंक लॉकर सुरक्षित हैं.
कितना सुरक्षित है आपका बैंक
ग्राहकों को बैंक से उसके सिक्योरिटी इंफ्रास्ट्रक्चर के बारे में सवाल करने का अधिकार है. ग्राहक यह पूछ सकता है कि कीमती सामान की रक्षा के लिए बैंक ने क्या इंतजाम किए हैं. बैंक से पूछिए कि आखिरी बार उसने अपना सिक्योरिटी इंफ्रास्ट्रक्चर कब अपडेट किया था? अगर बैंक से इस बारे में आपको उचित जबाब नहीं मिलता है तो कस्टमर किसी और बैंक में लॉकर हायर करने पर विचार कर सकता है.