सरकार का एक सख्त कदम लाखों लोगों पर कहर बन कर गिरता है. शायद नीतिनिर्धारकों को मालूम नहीं होता कि जिस कदम को वे उठा रहे हैं उस की वजह से कुछ परिवारों का अस्तित्व गिर सकता है और उन के लिए भुखमरी की स्थिति पैदा हो जाएगी. इधर, सरकार ने चालू खाता घाटा कम करने के लिए सोने के आयात पर नकेल कसने की कवायद शुरू की, उधर सोने के कारोबारियों के यहां जीवन खपाने वाले लाखों लोगों के समक्ष रोजीरोटी का संकट पैदा हो गया है.

पिछले 3 माह में सोने के आयात में सरकारी फंदा कसने से सोने के जेवरात बनाने वाले कारीगरों और नक्काशों के समक्ष पेट भरने का संकट पैदा हो गया है. जून से अब तक 5 लाख लोगों के समक्ष रोजीरोटी का संकट पैदा हो गया है. काम नहीं होने के कारण कंपनियां कर्मचारियों की छुट्टी कर रही हैं. सोने के आयात को कम करने के लिए सरकार जो नीति अब बना रही है यदि उस पर पहले ध्यान दिया गया होता तो युवाओं में उस इंडस्ट्री में काम करने का आकर्षण नहीं बढ़ता और उन्हें इस पैमाने पर बेरोजगार नहीं होना पड़ता. इन ताजा बेरोजगारों में कई लोग उम्र के आखिरी पड़ाव पर हैं.

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