सरकार ढांचागत विकास को गति देने के लिए सरकारी-निजी भागीदारी (पीपीपी) आधार पर विकास को और अधिक गति देने के लिए निजी क्षेत्र के निवेशकों को नियमों में ढील दे रही है. पीपीपी आधार पर चल रही परियोजनाओं में निजी क्षेत्र के निवेशकों को आकर्षित करने के लिए उन्हें सभी क्षेत्रों में, घाटे की स्थिति में परियोजना से हटने की छूट देने का फैसला लिया गया है. निवेशकों को अब तक सिर्फ सड़क परिवहन क्षेत्र की परियोजनाओं में ही इस तरह की सुविधा उपलब्ध थी. अब सरकार ने सभी मंत्रालयों की परियोजनाओं में यह सुविधा शुरू करने का निर्णय लिया है ताकि निजी क्षेत्र के निवेशक ढांचागत विकास की परियोजनाओं में शामिल होने के लिए उत्साहित रहें.

सड़क परिवहन क्षेत्र में सरकार ने पिछले वर्ष ही निवेशकों को यह सुविधा दी थी और इस का परिणाम यह हुआ कि सड़क परियोजनाओं में पीपीपी आधार पर काम करने वाले निवेशक तेजी से आ रहे हैं. सरकार का कहना है कि विकास परियोजनाओं से जुड़े निजी क्षेत्र के निवेशकों को कीमतें बढ़ने से परियोजनाओं को जारी रखने में कई बार भारी वित्तीय नुकसान होता था और कंपनियां बंद हो जाती थीं. इस से परियोजना तो लटक ही जाती थी, साथ ही कई लोग बेरोजगार भी हो जाते थे. इस नुकसान के आकलन के मद्देनजर सरकार का यह निर्णय सही प्रतीत होता है.

यह अलग बात है कि भारतीय अर्थव्यवस्था पर नजर रखने वाले केंद्र सीएमआईईओ की एक रिपोर्ट के अनुसार इस समय देश में करीब सवा 11 लाख करोड़ रुपए की परियोजनाएं लंबित हैं. इन में 75 प्रतिशत परियोजनाएं निजी क्षेत्र की हैं. सीएमआईईओ का यह आंकड़ा गत 30 जून को मिली रिपोर्ट के आधार पर है. पीपीपी मोड की परियोजनाओं को दी जाने वाली इस छूट से उम्मीद है कि देश में ढांचागत विकास को गति मिलेगी और निवेशक उत्साहित रहेंगे.

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