रिजर्व बैंक के आदेश पर एटीएम की सुरक्षा को ले कर इंडियन बैंक एसोसिएशन यानी आईबीए का पसीना छूट रहा है. कई दौर की वार्त्ता हो चुकी है लेकिन असहमति का ताला तोड़ना कठिन हो गया है. रिजर्व बैंक के कहने पर बैंकों का यह संगठन एटीएम में पैसा पहुंचाने के लिए आउटसोर्सिंग का तरीका निकाल चुका है और कामयाब भी है.

हालांकि आउटसोर्सिंग सेवा के बाद एटीएम में नकली नोटों की बाढ़ आई है, लेकिन इस की शिकायत करने पर इस बीमारी का इलाज किया जा सकता है मगर बेंगलुरु के एटीएम में एक महिला पर हमले की घटना की पुनरावृत्ति न हो, इस मुद्दे पर संगठन के शीर्ष अधिकारियों के बीच फिलहाल किसी विकल्प पर सहमति बनती नजर नहीं आ रही है. इस मुद्दे पर माथापच्ची कर रहे बैंक अधिकारियों का कहना है कि बैठक में किसी ठोस विकल्प पर पहुंचना बहुत कठिन हो रहा है. सब से आसान तरीका था कि हर एटीएम पर बंदूकधारी तैनात कर के सीसीटीवी कैमरे लगें लेकिन इस पर एकराय नहीं बन सकी.

एक अधिकारी का कहना है कि देश में इस समय करीब सवा लाख एटीएम हैं जिन की संख्या अगले साल तक ढाई लाख से अधिक हो जाएगी. इस तरह से देश में सार्वजनिक स्थल पर बंदूकधारियों की संख्या बढ़ जाएगी. हथियारों की संख्या में इस तरह से इजाफा आपराधिक घटनाओं को बढ़ाएगा. फिर सुझाव आया कि शाखा पर आधारित एटीएम रखे जाएं लेकिन इस से आम आदमी को मिल रही सुविधा घट जाएगी, बैंक के नियमित काम पर दबाव बढ़ेगा. दूरस्थ क्षेत्रों के लिए सुझाव था कि 2 हजार की आबादी वाले गांव में माइक्रो एटीएम लगाए जाएं. इस तरह से कई और भी सुझाव आ रहे हैं लेकिन किसी भी सुझाव पर फिलहाल सहमति बनती नजर नहीं आ रही है.    

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