खांसी की दवाओं में सिरप ज्यादा प्रचलन में हैं और कई बार कुछ लोग डाक्टर की सलाह लिए बिना भी ज्यादा लोकप्रिय सिरप का इस्तेमाल करते हैं. यह दवा की लोकप्रियता का परिणाम है लेकिन ऐसा करना ठीक नहीं है. एक अखबार की खबर के अनुसार, खांसी के लिए इस्तेमाल एक सिरप में कुछ नुकसानदायक तत्त्व ज्यादा पाए जाने की खबर पर औषधि महानियंत्रक ने इस दवा के नमूने लिए हैं और परीक्षण के वास्ते भेजे हैं. यह सिरप कंपनी की हिमाचल प्रदेश स्थित फैक्टरी में बनता है और यह बहुत लोकप्रिय है. वर्ष 2014 में खांसी की दवा के रूप में 10 शीर्ष सिरप में इस का 7वां स्थान था और कंपनी ने 247 करोड़ रुपए इस दवा की बिक्री से कमाए थे.

यहां चिंता किसी दवा की लोकप्रियता अथवा उस के बिक्री के कारोबार को ले कर नहीं है. परेशानी यह है हम जिन कंपनियों के उत्पाद पर आंख मूंद कर भरोसा कर रहे हैं वही धोखेबाज निकले तो इस से बड़ा अपराध कुछ नहीं हो सकता. यदि सचमुच उस दवा में मात्रा से अधिक कोई घातक तत्त्व पाया जाता है तो यह चिंता का विषय होना स्वाभाविक है. इस विश्वासघात के लिए कंपनी को जरूर दंडित किया जाना चाहिए. साथ ही, इस बात की पड़ताल भी होनी चाहिए कि कंपनी ने क्या ज्यादा लाभ अर्जित करने के मकसद से यह अपराध किया है अथवा लोगों के स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाने की यह किसी बड़ी साजिश का हिस्सा है?

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