असंगठित क्षेत्र के सूक्ष्म और लघु उद्योगों के अखिल भारतीय परिसंघ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिख कर नोटबंदी के बाद नकदी की दिक्कत का हवाला दे कर कारोबार के पुराने रिकौर्ड पर आयकर नहीं भरने की छूट देने की मांग की है. उन का कहना है कि पहले की आय का रिकौर्ड जमा नहीं करने के लिए उन्हें तंग नहीं किया जाना चाहिए.

सरकार का कहना है कि कारोबार का औनलाइन रिकौर्ड रखने पर गड़बडि़यों पर लगाम लगेगी और लघु तथा सूक्ष्म व्यवसायियों को फायदा होगा. इस क्षेत्र की देश के सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी में 70 प्रतिशत हिस्सेदारी है जबकि निर्यात में 40 प्रतिशत और यह क्षेत्र करीब 8 लाख लोगों को रोजगार दे रहा है. यह असंगठित क्षेत्र है और इसे आयकर के विवरण रखने की योजना के तहत छूट दी जानी चाहिए.

सरकार ने 2016 के बजट में इस क्षेत्र के लिए 2 करोड़ रुपए तक के कारोबार में पूरी तरह से राहत की व्यवस्था की है. उस से पहले इन के लिए 1 करोड़ रुपए तक

के सालाना कारोबार में कर से छूट की व्यवस्था थी. कारोबारियों का संगठन इसी व्यवस्था के तहत पुराने रिकौर्ड रखने में छूट देने की मांग कर रहा है.

सरकार कहती है कि पारदर्शिता के लिए रिकौर्ड का डिजिटल होना आवश्यक है. इस क्षेत्र के कारोबारियों सहित सब के लिए रिकौर्ड को औनलाइन करना अनिवार्य है. इस से पारदर्शिता आएगी और कर चोरी रुकेगी.

वहीं, कई लघु और सूक्ष्म उद्योगों में असंगठित क्षेत्र का कारोबार होने की शह पर बड़े स्तर पर कर्मचारियों का शोषण होता है. तब तो इस क्षेत्र के कारोबारियों का संगठन सक्रिय नहीं होता और न ही प्रधानमंत्री को पत्र लिखता है. एक मजदूर दिनरात काम करता है और उस के पास परिवार को देखने का समय नहीं है, उस के शोषण के वक्त भी तो अपने अधिकारों का खयाल रहना चाहिए. 

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