शेयर बाजार ने नए वर्ष 2015 का स्वागत मजबूती के साथ किया. बीते दिसंबर में विनिर्माण क्षेत्र का आंकड़ा सकारात्मक रहने से बाजार ने उत्साहजनक जवाब दिया और नए साल के दूसरे कारोबारी दिवस को बौंबे स्टौक एक्सचेंज यानी बीएसई का सूचकांक 4 सप्ताह के शीर्ष तक पहुंच गया. निरंतर नई ऊंचाई को छूते सूचकांक ने वर्ष 2014 के आखिर में 2009 के बाद पहली बार सर्वाधिक सालाना उपलब्धि दर्ज की. 5 साल में यह स्तर हासिल करने से निवेशकों का मनोबल बढ़ा है. सरकार भी विदेशी निवेश का प्रवाह बढ़ाने के लिए कदम उठा रही है.

नए साल की शुरुआती बढ़त के बाद पहले सप्ताह में ही सूचकांक को हलका झटका लगा और दूसरे दिन तो बाजार में सुनामी आ गई, सूचकांक 855 अंक ढह गया. 5 साल में 1 दिन की इस सब से बड़ी गिरावट के कारण निवेशकों के 2.75 लाख करोड़ रुपए डूब गए. नैशनल स्टौक एक्सचेंज यानी निफ्टी भी 252 अंक गिर गया. कच्चे तेल के दाम विश्व बाजार में 50 डौलर प्रति बैरल से नीचे आने को इस गिरावट की बड़ी वजह माना जा रहा है. शेयर बाजार में गिरावट का एक कारण यूनान का आंतरिक संकट भी बताया जा रहा है जिस के चलते यूरो के मुकाबले डौलर लगातार मजबूत हो रहा है. यूरो इस दौर में 9 साल के निचले स्तर पर है. विश्लेषक यूनान के संकट को आंतरिक राजनीतिक संकट मानते हैं जो जल्द ही हल हो जाएगा. उन्हें लगता है कि यह सब क्षणिक स्थिति है और निवेश के तेज होने व उपभोक्ताओं का खर्च बढ़ने से कंपनियों को फायदा होगा और इस आर्थिक साल के अंत तक बाजार 33 हजार अंक को पार कर जाएगा.

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