कुछ माह से भारी उतारचढ़ाव एक तरह से बाजार का स्वभाव जैसा बन गया है. अचानक बाजार में तेज गिरावट के बाद उसी स्तर का उछाल देखने को मिल रहा है. बौंबे स्टौक एक्सचेंज यानी बीएसई का सूचकांक अत्यंत संवेदनशील नजर आ रहा है लेकिन बाजार के जानकारों का कहना है कि वैश्विक माहौल में यह सामान्य स्थिति है और पूरी दुनिया के शेयर बाजार इसी तरह से इस माहौल से प्रभावित होते हैं. अमेरिका के फैडरल रिजर्व ने अपनी दरों में बदलाव की योजना को टाला है.
विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिका और दुनिया के अन्य देशों में फैडरल रिजर्व के इस निर्णय ने शेयर बाजारों में रौनक बढ़ाई है. बीएसई का सूचकांक भी 18 सितंबर को समाप्त हुए सप्ताह के दौरान 3 सप्ताह के उच्चतम स्तर पर बंद हुआ और रुपया 2 साल के उच्चतम स्तर पर पहुंचा. इस के ठीक विपरीत अगले सत्र में बाजार वैश्विक स्तर पर अर्थव्यवस्था के कमजोर रहने और जीडीपी में गिरावट की आशंका के कारण 541 अंक से अधिक गिर गया जबकि सुबह बाजार 80 अंक की तेजी के साथ खुला भी. जानकार कहते हैं कि बाजार में इस तरह की अनिश्चितता का माहौल पहले भी रहा है इसलिए उस से घबराने की आवश्यकता नहीं है. 2 सत्र तक लगातार भारी गिरावट के बाद निवेशकों ने चीन के कमजोर विनिर्माण आंकड़े को दरकिनार करते हुए जम कर उत्साह दिखाया और सूचकांक 171 अंक की उछाल के साथ 26 हजार अंक के नजदीक पहुंचा.