इतिहास हमेशा अपने बल पर ही रचा जाता है. विरासत में हासिल हैसियत भी इतिहास रचने में भूमिका निभाती है, खासकर जब बात आर्थिक कामयाबी के इतिहास की हो. शायद यही कारण है कि 19वीं और 20वीं शताब्दी में पारंपरिक उद्योग घराने ही ज्यादातर कामयाबी पाते रहे हैं. उस दौर में भी कामयाबी की चमत्कारिक कहानियां सुनने को मिलती रही हैं, लेकिन अपवाद के तौर पर. टैक्नोलौजी में जब पोर्टेबल रिवोल्यूशन आया तभी से कामयाबी की कहानियों के नायक बदल गए हैं. ग्लोबलाइजेशन और नैटवर्किंग टैक्नोलौजी के इस चरम दौर यानी 21वीं शताब्दी में तो अधिकांशतया कामयाब कहानियां सैल्फमेड ही हैं. भारत हो या चीन, रूस हो या ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका हो या मैक्सिको--ये सभी देश नए अरबपति पैदा कर रहे हैं और इन सभी देशों में ज्यादातर अरबपति नौजवान हैं व सैल्फमेड हैं. ऐसा नहीं है कि जो लोग मुंह में चांदी की चम्मच ले कर पैदा हुए हैं वे इस दौर में कामयाबी की कोई कहानी नहीं लिख रहे. मगर उन की कहानियां इन सैल्फमेड अरबपतियों के सामने फीकी हैं.

2014 को ही लें. उद्योगपतियों पर नजर रखने वाली वैश्विक कंपनी अल्ट्रा हाई नैटवर्थ (यूएचएनडब्लू) इंटैलिजैंस ऐंड प्रौस्पैक्टिंग फर्म वैल्थ एक्स की एक अध्ययन रिपोर्ट के मुताबिक, टैक्नोलौजी सैक्टर से जुड़े भारतीय अरबपति अरुण पुदुर एशिया में कामयाबी के इतिहास के नए सितारे बन कर उभरे हैं. पुदुर अभी महज 36 साल के हैं. वे अपने घरपरिवार में पहली पीढ़ी के अरबपति हैं. हालांकि अभी 15 साल पहले तक उन की गिनती करोड़पतियों में भी नहीं थी. अपने हुनर से कामयाबी हासिल करने वाली पीढ़ी के आज वे पोस्टर ब्वाय बन चुके हैं. पुदुर भारत के ही नहीं, पूरे एशिया के आज की तारीख में सब से अमीर नौजवान इंटरप्रेन्योर हैं. पुदुर 4 अरब डौलर की निजी संपत्ति के साथ इस किस्म की तैयार लिस्ट में टौप पर हैं. वे सौफ्टवेयर फर्म सेलफ्रेम के मालिक और प्रैसिडैंट हैं. चेन्नई के पुदुर ने यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन पूरा करने के बाद 1998 में सेलफ्रेम की शुरुआत की थी. उन की सौफ्टवेयर फर्म माइक्रोसौफ्ट के बाद दुनिया का दूसरा सब से पौपुलर वर्ड प्रोसैसर बनाती है. पुदुर के पास माइनिंग और रियल एस्टेट जैसे कारोबारों में भी संपत्ति है. वेल्थ-एक्स के मुताबिक, इस लिस्ट में पुदुर के बाद चीन के झाउ याहुई दूसरे नंबर पर हैं और पुदुर की तरह वे भी पहली पीढ़ी के अरबपति हैं. उन के पास 2.2 अरब डौलर की निजी संपत्ति है. वैसे कामयाब नौजवानों के मामले में दुनिया में चीन का दबदबा 2 दशकों से लगातार बना रहा है. इस समय भी टौप 10 में से 6 इंटरप्रेन्योर चीन के ही हैं.

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